देहरादून। राज्य सरकार ने स्कूली शिक्षा में सुधार लाने की कवायद तेज कर दी है। अब प्राइवेट स्कूलों में बेसिक और जूनियर स्तर पर नौकरी करने वाले शिक्षकों के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। टीईटी नहीं करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। केंद्र सरकार ने प्राईवेट स्कूलों में भी टीईटी को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय (एमएचआरडी) ने इस मामले में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश भेजे हैं।
प्राईवेट स्कूल कर रहे अनदेखी
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव अनिता कर्णवाल ने राज्य को भेजे गए पत्र में टीईटी को लेकर केंद्र सरकार की चिंता को जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि एनसीटीई ने 25 अगस्त 2010 को जारी नोटिफिकेशन में शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के बारे में स्पष्ट प्रावधान कर दिया था। इसके अनुसार बेसिक स्तर पर शिक्षक के लिए बेसिक शिक्षा में डिप्लोमा (डीएलएड) और टीईटी पास होना जरूरी है। निजी स्कूलों में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
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नियमों का पालन न करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई
आपको बता दें कि निजी स्कूलों का मानना था कि यह नियम सिर्फ सरकारी स्कूलों के लिए है जबकि यह नियम सरकारी, सहायता प्राप्त और प्राईवेट हर श्रेणी के स्कूलों के लिए लागू है। यदि किसी स्कूल में मानक पूरे न करने वाले शिक्षक नियुक्त हों तो उनके खिलाफ शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) के तहत कार्रवाई की जाए। शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट ने सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के अफसरों को इस मामले में कार्रवाई शुरू करने को कहा है।
इन बिन्दुओं पर भी हुआ विचार
-हर स्कूल को शैक्षिक सत्र से पहले सार्वजनिक करनी होगी फीस
-घोषित फीस के अलावा दूसरा शुल्क नहीं लिया जाएगा।
-रीएडमिशन-कैपिटेशन फीस और काॅशन मनी पर पूरी तरह से प्रतिबंध।
-तीन साल तक फीस में कोई भी बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
-सरकारी स्कूलों के समान ही निजी स्कूलों का भी नियमित निरीक्षण होगा।
-इस कानून का उल्लंघन करने पर संचालक को कड़ी सजा मिलेगी।