नई दिल्ली । काशी को क्योटो बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम के तहत जहां शुक्रवार को उन्होंने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए खुद फावड़ा चलाकर नींव रखी । वहीं इस विवादित प्रोजेक्ट को लेकर जारी बहस एक बार फिर से शुरू हो गई है। इस कॉरिडोर का विरोध करने वालों का कहना है कि मोदी काशी की संस्कृति को नष्ट करके नया बनारस बना रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस कॉरिडोर को बनाने के लिए सरकार ने ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर तक 200 से अधिक भवनों को अधिग्रहित कर तोड़ा । इनमें लगभग 50 की संख्या में प्राचीन मंदिर व मठ शामिल हैं। इन मठों और प्राचीन मंदिरों को तोड़ने जाने पर कई विद्धान मोदी की इस योजना से नाराज हैं, जबकि पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर कहा कि उन्होंने 40 से अधिक प्राचीन मंदिर जिस पर लोगों का अतिक्रमण था , भी मुक्त कराया है।
बता दें कि पीएम मोदी ने काशी को क्योटो बनाने के लिए कई योजनाओं के तहत शहर का कायाकल्प तो किया है, जिसके चलते उनकी सरकार की जमकर सराहना भी हो रही है, लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर कई विद्वानों का उनसे मतभेद है। असल में जिस क्षेत्र में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाया जा रहा है उस क्षेत्र को बनारस में पक्का महाल कहा जाता है। यह क्षेत्र गंगा तट पर अस्सी से राजघाट तक फैला है । कहा जाता है कि बनारस का यह क्षेत्र खुद में कई संस्कृतियों को समेटे है । प्राचीन इमारतों से लेकर कई पौराणिक मंदिर और देव विग्रह इसी क्षेत्र में स्थित हैं, जिनके दर्शन करने पूरे देश से लोग आते हैं।
इतना ही नहीं काशी विश्वनाथ कॉरिडोर वाले क्षेत्र पक्का महाल में बंगाली, नेपाली, गुजराती, दक्षिण भारतीय समुदायों के अपने अपने मोहल्ले हैं और इनसे जुड़े देवी देवताओं के मंदिर हैं। विद्वानों का कहना है कि कॉरिडोर के निर्माण के लिए जिन मंदिरों को तोड़ा गया , उसके ऊपर निर्माण करना अनुचित प्रक्रिया है।
इस मामले में संकटमोचन मंदिर के महंत विशंभरनाथ मिश्र का कहना है कि मोदी सरकार की इस योजना से मैं बहुत आहत हूं । बनारस की जीती जागती संस्कृति को ढहा कर उस पर विकास की इमारत खड़ी की जा रही है। यह लाखों लोगों की आस्था से खिलवाड़ है।
वहीं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि जिन मंदिरों को औरंगजेब ने भी नहीं तोड़ा उन्हें काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए तोड़ा गया। मोदी बताएं उन्होंने किसके कब्जे से इन मंदिरों को मुक्त करवाया है। काशी में जो हुआ है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती ।