श्रीनगर। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में मचा कोहराम नोटबंदी के बाद कम हो गया है। अपनी बड़ी कार्रवाई में भारतीय सेना ने आतंक को सौदागर बुरहान को मौत के घाट उतारा था। तब सरहद पार बैठे मौत के आतंकियों ने इस ऑपरेशन को भारत की दहशतगर्दी बताकर घाटी में खूब हंगामा कराया था। बहरहाल, आतंकी बुरहान को तो उसके किए की सज़ा मिल गई। मगर अब एक बार फिर वानी परिवार का नाम खबरों की वजह बन रहा है। दरअसल, महबूबा मुफ्ती सरकार ने बुरहान वानी के बड़े भाई खालिद वानी की मुठभेड़ में हुई हत्या के एवज में वानी परिवार को मुआवजा दिए जाने की घोषणा की है। खालिद वानी 13 अप्रैल 2015 को सेना के साथ हुए एक मुठभेड़ में मारा गया था।
मुफ्ती सरकार की हो रही आलोचना
खालिद वानी की मौत के बाद मुआवजा देने के मुफ्ती सरकार के फैसले की चारों तरफ आलोचना हो रही है। आपको बता दें कि जो मुआवजा वानी परिवार को दिया जाना है, वह उन आम नागरिकों को मिलता है जो कि आतंकी वारदातों या फिर आतंकवादियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में अपनी जान गंवाते हैं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की सरकार है।
सेना का विरोध कर रही सरकार !
महबूबा मुफ्ती की सरकार द्वारा खालिद वानी की मौत के बदले मुआवजा देने की घोषणा करना सीधे तौर पर सेना के रुख का विरोध करता है। सेना ने साफ किया था कि खालिद हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था और उसकी मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी। आपको बता दें कि किसी भी आतंकवादी या चरमपंथी की मौत के एवज में मुआवजा नहीं दिया जाता।
कौन था बुरहान वानी ?
बुरहान मुजफ्फर वानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था। वानी कश्मीर में त्राल की अच्छी और संपन्न फैमिली से था। वानी का बड़ा भाई खालिद मुजफ्फर भी आतंकवादी था जो पिछले साल सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया था।