उत्तराखंड में किसानों को इन दिनों मौसमकी मार झेलनी पड़ रही है। इस साल प्रदेश में बारिश नहीं होने के कारण काश्तकारोंकी फसल चौपट हो गयी है और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, हालात यह हैं कि किसानों के पास अपनीअगली फसल के लिए बीज की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो गया है। इस सीजन में बारिश नहोने के कारण राज्य में गेहूं की फसल खराब हो रही है। जाड़ों के सीजन में अक्टूबरसे दिसंबर तक सामान्य रूप से 89 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस मर्तबा इससे कम मिमी बारिशमापी गई। जनवरी तो अब तक बारिश के लिहाज से सूखा ही गुजरा। जाहिर है, इससे फसलों पर खतरा पैदा हो गया है।
सूखे के सित्तम से जूझ रहे राज्य मेंहालात धिरे-धिरे काबू से बाहर जाते जा रहे हैं। बारिश की आस में पल-पल आसमान की ओरनज़रें गड़ाए किसान यह उम्मीद लिए बैठा है कि अबतक मौसम की बेरूखी से जो नुकसानउसका हुआ है आखिर में उसकी भरपाई कर ली जाएगी। साथ ही उम्मीद की एक नज़र राज्यसरकार की ओर भी उठ रही है कि क्योंकि मौसम की मार के जो ज़ख्म उनके शरीर पर लग रहेहैं उनपर मुआवजे का मरहम लगाया जा सके।
राज्य में 95 में से 71 विकासखंडों मेंखेती बारिश पर निर्भर है। यानी समय पर बारिश हो गई तो ठीक, वरना बिन पानी सब सून। फिल्हाल, सूबे की कृषी योग्य ज़मीन बारिश न होनेके कारण सूखाग्रस्त है। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि कैसे जिंदा रहें किसान ?