नई दिल्ली । पिछले कई दशकों से घाटी में हिंसा को बढ़ावा देने वाले अलगावादियों पर लगता है अब एनआईए ने अपना शिकंजा कस दिया है। टेरर फंडिंग के मामले को लेकर एनआईए की जांच के घेरे में आए हुर्रियत के अलागववादी नेताओं को शुक्रवार कोर्ट में पेश किया जाना है, लेकिन खबर है कि इन अलगाववादी नेताओं को दिल्ली में कोई वकील ही नहीं मिल रहा है, जो इनकी ओर से उनका पक्ष रख सके। खबर है कि शब्बीर शाह और सैयद अली शाह गिलानी लगातार दिल्ली मुंबई के ऐसे वकीलों के संपर्क में हैं, जो कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के लिए काफी सहानुभूति रखते हैं। बता दें कि गृह राज्यमंत्री रिजिजू ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन हुर्रियत नाम के स्टिंग में दिखाए गए सभी हुर्रियत नेताओं से पूछताछ होगी, किसी को भी रियायत नहीं दी जाएगी। इसमें गिलानी समेत अन्य नेता भी शामिल होंगे, एनआईए अभी इन सभी को लेकर अपनी जांच कर रही है।
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खबर है कि हुर्रियत के अलगाववादी नेताओं ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एसआर गिलानी से भी संपर्क किया है। इन नेताओं ने गिलानी को काम सौंपा है कि वे उनके लिए वकील की खोज करें जो एनआईए की स्पेशल कोर्ट में उनकीपेशी के दौरान उनकी ओर से पक्ष को रख सकें। आपको बता दें कि गिलानी साल 2001 में संसद पर हुए हमले में आरोपी थे। गिलानी को साल 2010 में बरी किया गया था। फिलहाल वह एक एनजीओ के मुखिया हैं। इनका एनजीओ जेल में बंद राजनीतिक कैदियों को कानूनी मदद देने का काम करता है।
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सूत्रों के अनुसार, इस बार इन अलागाववादी नेताओं के खिलाफ खासे सबूत एनआईए के पास ऐसे में इनपर शिकंजा कस गया है। अपने बचाव के लिए लिए ये दिल्ली- मुंबई से अपने लिए वकीलों की जुगत लगा रहे हैं लेकिन कोई भी इनकी ओर से कोर्ट में केस लड़ने को तैयार नहीं है। खबर है कि इन नेताओं ने मुंबई के भी एक प्रतिष्ठित वकील से संपर्क किया है। बताया जा रहा है कि उक्त वकील काफी समय से कश्मीर समस्या पर लिखते आए हैं और कुछ हद तक अलगाववादियों का समर्थन करते भी दिखते हैं।
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