भुवनेश्वर । केंद्र की मोदी सरकार को अगली बार सत्ता से दूर रखने के लिए विपक्षी दलों की महागठबंधन की परिकल्पना को एक बार फिर से जोर का झटका लगा है। असल में ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल (BJD) ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के महागठबंधन की परिकल्पना को धराशाही करते हुए साफ कर दिया है कि वह इस महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगे। बीजेडी चीफ और सीएम नवीन पटनायक ने खुद इस बात का ऐलान किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि बीजद विपक्षी दलों के कथित महागठबंधन का हिस्सा नहीं होगी। जहां इस विपक्षी दलों की महागठबंधन की परिकल्पना को झटका माना जा रहा है, वहीं इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी को यह बड़ी राहत वाली खबर है।
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असल में ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं, राज्य की सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ने महागठबंधन में शामिल न होने का ऐलान करने के साथ ही भाजपा को एक मुद्दा दे दिया है। अब भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों में विपक्ष के महागठबंधन की परिकल्पना पर कटाक्ष मारते हुए फिर से कह सकती है कि विपक्ष में एकता नहीं है । पिछले दिनों भी महागठबंधन को लेकर कई दलों में सीट बंटवारे के मुद्दे पर गतिरोध सामने आए थे। इस सब के बाद कई दलों के प्रमुखों ने कई बड़े बयान तक दे डाले थे।
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बहरहाल, नवीन पटनायक द्वारा विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल होने के मुद्दे पर अभी हम उनके साथ नहीं है। हमें इस विषय पर फैसला बाद में लेंगे। हमें अपने निर्णय को ठोस रूप देने के लिए कुछ समय चाहिए । वह धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर बीजद के धरना प्रदर्शन में भाग लेने के लिए मंगलवार को पहुंचे थे, जहां उन्होंने भाजपा पर 2014 के घोषणा पत्र में किए गए वायदों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया।
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बता दें कि पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा को प्रदेश की 21 सीटों में से 1 सीट ही मिली थी, कांग्रेस का यहां खाता भीा नहीं खुला था, जबकि प्रदेश में सत्ताधारी बीजद को 20 सीटों पर सफलता हासिल हुई थी। भाजपा के लिए अच्छी खबर यह है कि 2017 में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा को यहां बड़ी जीत मिली थी, अब बीजद के महागठबंधन में शामिल होने से भाजपा खुश है और आगामी चुनावों में बेहतर परिणाम के लिए आशावान भी । ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पिछले दिनों राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव में बीजद के 9 सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था।
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इस सब के चलते भाजपा पार्टी के कुछ उपेक्षित नेताओं पर भी नजर बनाए हुए है, साथ ही पंचायत चुनाव में मिली जीत के बाद अपना विस्तार कर रही है। विपक्षी दलों के महागठबंधन के रूप में सामने आने से भाजपा की स्थिति फिर से कमजोर होगी, लेकिन सत्तारूढ़ बीजद के महागठबंधन से नहीं जुड़ने के ऐलान के बाद आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति को लेकर भाजपा की नई रणनीति नजर आएगी।
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