नई दिल्ली । भारत के IT प्रोफेशनल के लिए एक अच्छी खबर है । असल में अमेरिकी प्रतिनिधिसभा ने भारत के आईटी पेशेवरों को स्थायी निवास प्रदान करने में मदद के लिए एक विधेयक पारित किया है । इस विधेयक की मदद से उन लोगों की प्रतीक्षा जल्द समाप्त हो जाएगी , जो एक दशक से वहां अपने स्थानीय आवास का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि इस विधेयक को पास करने के लिए सीनेट में विरोध भी हुआ, लेकिन दोनों दलों के 311 प्रतिनिधियों द्वारा इस विधेयक को स्वीकार किया । इससे एक साल के दौरान स्थायी निवास यानी ग्रीन कार्ड प्राप्त करने की संख्या पर लगी सीमाएं समाप्त हो जाएगी । अब जानकारों का कहना है कि ये कानून बना तो इससे 3 लाख भारतीय H-1B अस्थायी वर्क वीजा धारकों को मदद मिलेगी जो इस समय अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं ।
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आधिकारिक रूप से इस विधेयक को फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट 2019 कहा गया है , जिसमें ग्रीन कार्ड की तय सीमा हटाने की मांग करते हुए पहले दो साल के दौरान भारत और चीन के लोगों को 85 फीसदी ग्रीन कार्ड प्रदान करने की बात कही गई है । इसके बाद तीसरे साल 90 फीसदी प्रदान करने की बात कही गई है जिससे लंबित मामलों को निपटाया जा सके। सदन में इसके पक्ष में डेमोक्रेट के सदस्यों के 224 वोट और रिपब्लिकन के 140 वोट पड़े ।
मौजूदा व्यवस्था के तहत किसी देश के लोगों को सालाना कुल 26,000 ग्रीन कार्ड का 7 फीसदी ही मिल सकता है । यह सीमा भारत और चीन जैसे बड़े देशों के लिए जितनी है , उतनी ही मालदीव और लक्जेमबर्ग जैसे छोटे देश के लिए भी है। इस कोटे से भारतीय IT पेशेवर और अन्य सुयोग्य व्यक्तियों को स्थायी निवास पाने में 10 साल तक इंतजार करना पड़ जाता है जबकि वे पहले से ही वहां अस्थायी एच-1बी वर्क वीजा पर होते हैं ।
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