Friday, May 17, 2024

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महागठबंधन की काट के लिए भाजपा का ''मिशन-130'', रणनीति को अंजाम देने के लिए दिग्गजों को नई जिम्मेदारी

अंग्वाल न्यूज डेस्क
महागठबंधन की काट के लिए भाजपा का

नई दिल्‍ली । आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जहां सभी राजनीति दलों ने अपनी रणनीति बनाने के बाद उस पर काम करना शुरू कर दिया है, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा विपक्षी दलों के कथित महागठबंधन को लेकर अपनी रणनीति में कुछ विशेष बदलाव कर रहा है। यूपी में पिछले दिनों सपा-बसपा-कांग्रेस और रालोद के गठबंधन के चलते भाजपा को कुछ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, जिसके चलते भाजपा अब अपने मिशन-130 में जुट गई है। पिछली बार यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से सहयोगियों के साथ मिलकर 73 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार महागठबंधन को गंभीरता से ले रही है, जिसके चलते भाजपा ने दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की 130 सीटों पर अपनी निगाहें जमा दी हैं, जहां भाजपा को ज्यादा सफलता नहीं मिली थी।  इसके लिए पार्टी ने कुछ दिग्गजों को उनकी जिम्मेदारी भी सौंप दी है।

महागठबंधन के चलते पहले जैसा प्रदर्शन नहीं

यूपी में पिछले दिनों चुनावों के मद्देनजर सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन भाजपा को चुनौती देता नजर आया। भाजपा को झटके भी लगे। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार पिछले चुनावों की तरह प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा। भाजपा दावा कर रही है कि विपक्षी दलों के महागठबंधन के बावजूद उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने हर तरह की स्थिति से निपटने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।

भाजपा ने बनाया मिशन-130

इस सब के बीच भाजपा ने अपना मिशन 130"' पर काम करना शुरू कर दिया है। असल में भाजपा ने दक्षिण के 5 राज्यों समेत एक केंद्र शासित राज्य (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल एवं केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी) की कुल 130 सीटों पर अपनी नजर जमाई है। पिछले चुनावों में भाजपा यहां कुछ बेहतर परिणाम हासिल नहीं कर पाई है। अगर महागठबंधन के मद्देनजर उन्हें यूपी-बिहार में कोई नुकसान हुआ तो पार्टी की रणनीति के मुताबिक वो इस नुकसान की भऱपाई इन राज्यों की सीटों पर बेहतर परिणाम लाकर करना चाहती है।

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गठबंधन के साथियों की तलाश में भाजपा

दक्षिण भारत में अपने लिए ज्यादा सीटों की रणनीति बना रही भाजपा इन दिनों राज्यों में अपने गठबंधन के साथियों की तलाश में जुट गई है। जानकारी के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा को इन राज्यों की 130 सीटों में से मात्र 20 पर जीत मिली थी, लेकिन 110 सीटों के हारने के आंकड़े को इस बार वह बदलना चाहते हैं। 

कांग्रेस की स्थिति खराब


भाजपा अपने इस मिशन के तहत अपनी रणनीतियों को अमलीजामा पहनाने की जुगत में लगा है, वहीं भाजपा इस बात को ध्यान में रखे हुए है कि इन सभी राज्यों में कांग्रेस की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं है। कांग्रेस भी इन राज्यों में अपने अस्तित्व बचाए रखने और साथियों को तलाशने की जुगत में है।जानें क्या हैं इन राज्यों का सियासी समीकरण

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1- कर्नाटक की बात करें तो यहां पिछले दिनों विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन सरकार नहीं बना पाई। गत विधानसभा चुनावों में भाजपा धुरविरोधी रहे कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन का मुद्दा बनाएगी। भले ही भाजपा वहां सत्ता में आने का आंकड़ा नहीं जुटा पाई हो लेकिन राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के बीच जारी अंतरविरोधी बयानों का लाभ भाजपा उठाने की हरसंभव कोशिश करेगी। भाजपा के पक्ष में एक अच्छी बात ये भी है कि भाजपा को पिछली बार लोकसभा चुनावों में भी सबसे ज्‍यादा सीटें मिली थीं।

2- अब बात करते हैं आंध्र प्रदेश की। राज्य में टीडीपी पिछले कुछ दिनों तक तो भाजपा के साथ थी, लेकिन विशेष राज्य के मुद्दे को लेकर हुए विवाद के चलते उसने भाजपा का साथ छोड़ दिया है।  राज्‍य में विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस भी इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए है। काग्रेस के लिए यहां अपने लिए जमीन तैयार करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में भाजपा अपने लिए यहां गठबंधन का साथी तलाशते हुए आगे की रणनीति में जुट गई है। 

3- अब बात करते हैं तीसरे राज्य डीएमके की। हाल में डीएमके करुणानिधि का निधन हुआ है। इससे पहले एआईएडीएमके की प्रमुख रहीं जयललिता का निधन हुआ था। इसके बाद राज्य की राजनीति कुछ नहीं चेहरों के इर्द-गिर्द चल रही है। दोनों ही दल पिछले कुछ समय में अपने प्रमुख नेताओं को खोने के बाद कमजोर हुए हैं। इस सब के बीच अभिनेता से राजनेता का सफर तय करने वाले रजनीकांत और कमल हासन राज्य में लोगों के सामने आ गए हैं। राज्य की 39 लोकसभा सीटों पर अब किसे बढ़त मिलेगी इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है। ऐसे में भाजपा नए गठजोड़ की ओर देख रहा है। रजनीकांत और कमल हसन दोनों के साथ भाजपा के रिश्ते अच्छे हैं। इतना ही नहीं करुणानिधि के बीमार होने पर पीएम मोदी उन्हें देखने गए और निधन पर श्रद्धांजलि देने भी। इसी क्रम में अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर डीएमके के कार्यकारी अध्‍यक्ष एमके स्‍टालिन और सांसद के कनिमोझी दिल्‍ली में उनको श्रद्धांजलि देने आए थे। राजनीति के गलियारों में उनके वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के कई मायने समझे जा रहे हैं। 

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4 - अब बात करते हैं केरल की। पिछले विधानसभा चुनावों में यहां भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। भाजपा ने अपने वोट प्रतिशत में भी इजाफा किया है। राज्य में मौजूदा बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर कुछ विवाद हुए जिसके चलते भाजपा की छवि पर असर पड़ा है। हालांकि भाजपा इसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं मान रही है। पार्टी का कहना है कि उसने पिछले चुनावों में अपने वोट प्रतिशत में वृद्धि की है। अभी उनके पास राज्य में बेहतर करने का समय है और वो इसमें इजाफा करेगी। 

5- इसी तरह तेलंगाना को लेकर भी भाजपा अपनी नई रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी राज्य में चंद्रशेखर राव के नेतृत्‍व वाले सत्‍तारूढ़ टीआरएस का विकल्‍प बनकर उभरेगी।   

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