नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों के लिए जहां विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए महागठबंधन बनाने की जुगत लगा रहे हैं, वहीं संघ ने भाजपा के साथ बैठक कर इस बार पार्टी के टिकट बंटवारे को लेकर एक रणनीति बनाई है। हरियाणा के सूरजकुंड में पिछले 5 दिनों से संघ और भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं और महासचिवों के बीच समन्वय बैठक चल रही है, जिसमें कई अहम फैसलों पर मुहर लगी है। जानकारी के अनुसार, इस दौरान भाजपा के संगठन मंत्रियों से कहा गया है कि वह पार्टी के सभी सांसदों का एक रिपोर्ट कार्ड बनाएं। इस रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही उन्हें टिकट दिया जाए या नहीं इस बात का फैसला होगा। इस रिपोर्ट कार्ड में नेताओं द्वारा करवाए गए कार्य , उनके जनाधार और उनकी लोकप्रियता के स्तर से संबंधित नंबर दर्ज किए जाएंगे। खबर है कि इस रिपोर्ट कार्ड में अगर किसी रसूखदार और दबंग नेता के नंबर कम आए तो उसका टिकट कटना तय है।
जीतने की संभावना है या नहीं
असल में पिछले 4 दिनों से सूरजकुंड में चल रही समन्वय बैठक में भाजपा के संगठन मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पार्टी के सांसदों के प्रदर्शन और कार्यों की समीक्षा करके एक रिपोर्ट कार्ड तैयार करें। यही रिपोर्ट कार्ड उन्हें 2019 के लोकसभा चुनावों में टिकट मिलने का आधार तय करेंगे। अब ऐसे में सांसदों के द्वारा करवाए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी, वहीं उनकी अपने क्षेत्र में लोकप्रियता के ग्राफ को भी देखा जाएगा। आकलन किया जाएगा कि माननयी का जनाधार किस स्तर पर है। खास बात ये भी आंकी जाएगी कि टिकट का दावेदार क्षेत्र से जीत सकता है भी या नहीं।
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रसूखदार को नहीं मिलेगा टिकट
इस दौरान पार्टी की ओर से संकेत मिल रहे हैं कि अगर इस रिपोर्ट कार्ड में किसी रसूखदार नेता के नंबर कम होते हैं तो उसे किसी भी सूरत में टिकट नहीं दिया जाएगा। अगर जनता उस नेता को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है तो ऐसे नेता टिकट भी कट सकता है। हालांकि जिस सांसद ने अपने क्षेत्र में लोगों की बेहतरी के लिए काफी काम किया है और जो अपने क्षेत्र में लोगों के हर मुद्दे को लेकर उनके साथ खड़ा रहा है, ऐसे नेताओं को टिकट के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार खोजने होंगे
खबरों के अनुसार, इस दौरान संगठन मंत्रियों से कहा गया है कि अगर आपकी जांच में कोई सांसद आगामी चुनावों में अपने क्षेत्र से जीतता हुआ नजर नहीं आ रहा है तो उन लोगों को यह भी बताना होगा कि इस सांसद के बजाए आगामी चुनावों में किसे उम्मीदवार बनाया जा सकता है, जो पार्टी के लिए जीत सुनिश्चित करे।
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एक माह में देगी है रिपोर्ट
पार्टी के महासचिवों और संघ के नेताओं के बीच हुई इस बैठक के बाद संगठन मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वो एक महीने के भीतर सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर लें। इसके बाद रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा की जाएगी और पार्टी समय रहते यह तय कर लेगी कि किस क्षेत्र से उनका उम्मीदवार कौन होगा, ताकि समय रहते उम्मीदवारों को चुनावों की तैयारी करने का मौका मिल सके।
यूपी पर रही खास नजर
यूपी विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत के बाद से उपचुनावों में भाजपा को मिली हार को ध्यान में रखते हुए इस बैठक में प्रदेश को लेकर खासी चर्चाएं हुईं। असल में संघ ने भी अपने लिहाज से यूपी को 6 प्रांतों में बांटा हुआ है। इस दौरान सपा-बसपा का गठबंधन अगर लोकसभा चुनावों में जारी रहता है तो उससे निपटने के लिए भी रणनीति बनाने को लेकर बैठक में मंथन हुआ।
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