नई दिल्ली। गुजरात में हुए बहुचर्चित सोहराबुद्दीन-तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर केस में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। इस मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। करीब 13 साल बाद आए फैसले में सीबीआई कोर्ट ने 22 पुलिसवालों को पर्याप्त सबूत नहीं मिलने पर बरी कर दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि इस मामले में राजनीतिक पार्टियों की ओर से भी कड़ी नजर रखी जा रही थी क्यों इसमें भाजपाध्यक्ष अमित शाह का नाम भी शामिल था। हालांकि शाह को 2014 में ही आरोप मुक्त कर दिया गया था।
गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन-तुलसी प्रजापति एनकाउंटर में आरोपी ज्यादातर पुलिस वाले यूपी और राजस्थान के थे। बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में इस मामले पर सुनवाई पूरी हो चुकी थी पर विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे। बता दें कि मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए थे।
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यहां बता दें कि सीबीआई के अनुसार, आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। इसके बाद 26 नवंबर को अहमदाबाद के करीब फर्जी मुठभेड़ में शेख की हत्या कर दी गई उसके 3 दिन बाद कौसर बी की भी हत्याकर शवों को ठिकाने लगा दिया गया। इन दोनों की हत्या के ठीक 1 साल बाद 2006 में राजस्थान-गुजरात सीमा पर एक और फर्जी मुठभेड़ में तुलसी प्रजापति की भी हत्या कर दी गई थी।
आपको बता दें कि इस मामले में अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया था। इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं।