बीजिंग। उत्तर कोरिया केद्वारा लगातार किए जाए जा रहे परमाणु परीक्षण ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। उत्तर कोरिया ने छठा परमाणु परीक्षण करके उत्तर-पूर्व एशिया के देशों में नया डर और कोरियाई घरती पर युद्ध के आसार पैदा कर दिए हैं। उसकी इस हरकत से कई देश सकते में हैं, खासतौर से अमेरिका किसी भी तरह उस पर सख्त प्रतिबंध लगाने की कोशिशे कर रहा है। इसके लिए उसने हाल ही में चीन से बात भी की है। मीडिया के मुताबिक, अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद भड़के विवाद पर चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से फोन पर बातचीत की, लेकिन चीन के राष्ट्रपति ने अमेरिका की उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग को ठुकरा दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ट्रंप को बताया कि चीन इस विवाद का समाधान बातचीत और शांति के साथ चहाता है।
यह भी पढ़े- 93 का मुंबई ब्लास्ट - ताहिर-फिरोज को सजा-ए-मौत, दोषी अबु सलेम और करीमुल्ला को आजीवन कारावास
वहीं अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया के इस कदम से काफी चिंतित है और मानता है कि इस समस्या के समाधान में चीन की अहम भूमिका है। अमरीका, उत्तर कोरिया के खिलाफ वैश्विक नेताओं तक पहुंच बनाने का प्रयास कर है और इसलिए चीन को भी मनाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
यह भी पढ़े- निर्मला सीतारमण ने संभाली रक्षा मंत्रालय की कमान, पूर्व रक्षा मंत्री अरुण जेटली भी रहे मौजूद
कुछ दिनों पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से भी कई बार की है। अमरीकी राजदूत निकी हेली ने सोमवार को कहा था कि हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद अब संयुक्त राष्ट्र के रक्षा परिषद को उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े बड़े कदम उठाने की जरुरत है। हालांकि उस पर चीन ने सहमति नहीं दी थी। ऐसा माना जा रहा है कि चीन इस मामले में खुलकर इसलिए विरोध नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसे डर लग रहा है कि उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगने से उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। जिसके कारण कई लाख शरणार्थी चीन में शरण ले सकते हैं।