नई दिल्ली। चुनाव के दौरान आचार संहिता की धज्जियां उड़ाने वाले नेताओं पर चुनाव आयोग नकेल कसने की तैयारी में हैं। आयोग इसके लिए तकनीक का सहारा ले रही है। चुनाव आयोग ने देर शाम इंटरनेट आधारित बीटा वर्जन ऐप ‘सीविजिल’ लाॅन्च किया है। इस एप का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति बिना अपनी पहचान सार्वजनिक किए कर सकता है। चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि चुनावों के दौरान अवैध रूप से बांटे जा रहे धन या नफरती भाषणों जैसी हरकतों पर लगाम लगाई जा सके।
गौरतलब है कि सीविजिल में ‘सी’ का अर्थ आम नागरिकों से है। बताया जा रहा है कि इस ऐप का इस्तेमाल पहली बार साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्यों के विधानसभा चुनावों में होगा। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध कराया जाएगा। गौर करने वाली बात है कि यह ऐप केवल उसी दौरान काम करेगा जब चुनावी राज्यों में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होगी।
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यहां बता दें कि चुनाव आयोग शिकायत करने वाले व्यक्ति की सुरक्षा को देखते हुए उसके फोन नंबर और पहचान को छिपा देगा ताकि सामान्य लोग ताकतवर लोगों द्वारा किए जाने वाले गलत कामों के खिलाफ जानकारियां देने का साहस जुटा सकें। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि सबूत आधारित शिकायत के समयबद्ध निपटारे के लिए अधिकतम 100 मिनट की समयसीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि जीपीएस की मदद से शिकायत वाले स्थान की पहचान कर संबद्ध क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी उक्त स्थान पर पहुंच कर कार्रवाई करेंगे।