रांची । चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह ने शनिवार दोपहर अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस दौरान लालू यादव को दोषी करार दिया। वहीं जगन्नाथ मिश्र और धुव्र भगत समेत 6 लोगों को रिहा कर दिया गया , जबकि अन्य सभी को दोषी करार दिया है। इन सभी को 3 जनवरी को कोर्इट सजा सुनाएगी। बता दें कि घोटाले से जुड़े 38 आरोपियों में से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि कुछ सीबीआई के गवाह बन गए तो कुछ ने अपना जुर्म कबूल लिया था। ऐसे में कोर्ट ने आज सिर्फ 22 आरोपियों के खिलाफ ही अपना फैसला सुनाया। जज शिवपाल सिंह की अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों के गवाहों के बयान दर्ज करने और बहस के बाद अपना गत 13 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था।
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कोर्ट रूप में आरोपियों के वकीलों को इजाजत
बता दें कि जज के फैसले से पहले किसी अप्रिय घटना को ध्यान में रखते हुए कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई । सुबह 11 बजे फैसला आने के बाद पहले इसे 3 बजे आने की बात कही गई, लेकिन 3.30 तक कोर्ट रूप में जज नहीं पहुंचे तो लोगों को आशंका होने लगी कि शायद फैसला लालू के खिलाफ आ रहा है, जिसके चलते इतनी सख्ती बरती गई है।
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हुआ हल्ला...रिहा हो गए लालू
कोर्ट में एक समय जब सब लोग कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे थे, उन लोगों के कानों में एकाएक खबर आई कि लालू रिहा हो गए हैं। इसके बाद कुछ चैनलों ने तो ब्रेकिंग न्यूज में लालू के रिहा होने की खबरें चला दीं, लेकिन बाद में सामने आया कि दुष्कर्म के एक मामले में नटराजन रिहा हो गए, यह लालू का मामला नहीं, तब जाकर एकाएक मची गहमागहमी थम पाई।
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कोर्ट में दिखी गहमागहमी, लालू समर्थकों की भीड़
कोर्ट के फैसला सुनाए जाने से पहले ही रांची में सीबीआई की विशेष अदालत के बाहर भारी गहमागहमी का माहौल था। बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ता पटना से रांची पहुंचे हुए थे। इस सब के मद्देनजर अदालत परिसर और उसके आसपास के इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।
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ये हैं आरोपी...11 की हो चुकी है मौत
इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. केके प्रसाद तथा शेष अन्य चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे। सभी 38 आरोपियों में से जहां 11 की मौत हो चुकी है। वहीं 3 सीबीआई के गवाह बन गए, जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था। इसके बाद उन्हें 2006-7 में ही सजा सुना दी गई थी।
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जानिए आखिर क्या है पूरा मामला
बता दें कि यह पूरा मामला वर्ष 1990 से 1994 के बीच है, जब देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये, फर्जीवाड़ा कर पशु चारे के नाम पर निकाल लिए गए। इस केस में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी/64 ए/1996 दर्ज किया था।