नई दिल्ली।
भारत की समुद्री सीमाओं को और सुरक्षित करने के लिए भारतीय नौसेना 57 लड़ाकू विमानों की खरीदारी करेगी। इन विमानों को आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा, ताकि सीमाओं की सुरक्षा की जा सके। इन लड़ाकू विमानो की खरीद से पहले इन्हें बनाने वाली विदेशी कंपनियों को नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य पर ट्रायल का आमंत्रण दिया है। नौसेना ने राफेल, साब-सी-ग्रिफेन और F-18 जैसे फाइटर जेट बनाने वाली कंपनियों को बुलाया है और कहा है कि वो अपनी उपयोगिता साबित करें और बताएं कि उनके प्लेन्स की तैनाती INS विक्रमादित्य पर क्यों हो?
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नौसेना के इस आमंत्रण पर कंपनियों ने आईएनएस विक्रमादित्य पर अपना ट्रायल दिया। ये ट्रायल कर्नाटक के करवार में हुआ। इन सभी नए लड़ाकू विमानों को आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी विमान वाहक पर इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि अभी आईएनएस विक्रमादित्य पर 26 मिग 29K और 10 कामोव KA-31 हेलीकॉप्टर तैनात हैं। लेकिन भारतीय नौसेना चाहती है कि अगले तीन साल में सालों में इंडियन नेवी चाहती है कि उस पर नए लड़ाकू विमानों की तैनाती हो, ताकि आईएनएस विक्रमादित्य अकेले ही दुश्मन पर कहर ढा सके।
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बता दे कि आईएनएस विक्रमादित्य कीव क्लास का सोवियत रूसी जमाने का विमानवाहक पोत है और भारत ने रूस से इसे खरीद लिया है। ये 45,000 टन वजनी है और अकेले ही किसी भी युद्ध का पासा पलटने में सक्षम है।
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75 हजार करोड़ की होगी डील
भारतीय नौसेना इन 57 लड़ाकू विमानों की खरीद पर 75 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। लेकिन नौसेना ने इसके लिए कुछ शर्तें रखी हैं। नौसेना चाहती है कि ये विमान भारत में ही बने और अधिक से अधिक तकनीकी ट्रांसफर पर बात हो। इसके लिए जरूरी कल-पुर्जों की सप्लाई के साथ ही सिर्फ 3 सालों में ही इनकी तैनाती भी हो।