नई दिल्ली। देश के करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य बीमा देने वाली योजना ‘आयुष्मान भारत’ को एक बड़ा झटका लगा है। कई बड़े निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत मरीजों को सस्ता इलाज देने से इंकार कर दिया है। बताया जा रहा है जिन अस्पतालों ने सस्ता इलाज देने से मना किया है उनमें राजधानी दिल्ली समेत मेट्रो शहरों के बड़े प्राईवेट अस्पतालों शामिल हैं। निजी अस्पतालों के इस रवैये ने स्वास्थ्य मंत्रालय की परेशानी भी बढ़ा दी है। ऐसे में मरीज को दिल्ली जैसे शहर में इलाज उपलब्ध कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
गौरतलब है कि देश के करीब 2 हजार से ज्यादा अस्पतालों ने इस सुविधा को देने से मना कर दिया है। बता दें कि निजी अस्पतालों ने कुछ दिनों पहले नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है। इसके बाद आयुष्मान भारत के तहत मरीजों को अस्पताल में मिलने वाले पैकेज की कीमतों में 28 मई को बदलाव भी किया गया था।
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यहां बता दें कि निजी अस्पतालों ने नई कीमतों को भी मानने से इंकार कर दिया है। अस्पतालों के द्वारा आरोप लगाया गया है कि सरकार ने आयुष्मान भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के मुकाबले भी कीमतों को कम रखा है। ऐसे में निजी अस्पतालों को बड़ा नुकसान हो सकता है। सरकार द्वारा निर्धारित की गई कीमतों के नहीं मानने वाले अस्पतालों में फोर्टिस, मेदांता, मैक्स और अपोलो शामिल हैं। गौर करने वाली बात है कि प्राईवेट अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के डीजी डॉ. गिरधर ज्ञानी ने बताया कि सरकार ने 10 करोड़ परिवार को 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष स्वास्थ्य बीमा लाभ देने के लिए योजना शुरू की है लेकिन इसमें बीमारियों के करीब 1352 पैकेज शामिल किए हैं, उनकी कीमतें बेहद कम हैं। व्यवहारिक तौर पर इन कीमतों में मरीज को इलाज देना किसी भी अस्पताल के लिए संभव नहीं है।