नई दिल्लीः इधर यूपी में बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार की कमान योगी आदित्यनाथ ने संभाली है और उधर राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अहम टिप्पणी आई है। मंगलवार को बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी की राम मंदिर मामले पर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले का समाधान दोनों पक्ष आपस में बातचीत के जरिए करें। कोर्ट ने कहा है कि यह धर्म और आस्था का मामला है औऱ दोनों पक्ष इसे कोर्ट के बाहर सुलझाएं। यह संवदेनशील मामला भी है। ऐसे में इसका आपसी हल ही बेहतर रहेगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मुस्लिम नेताओं की राय अलग-अलग है।
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जफरयाब जिलानी बोले कोर्ट के बाहर समझौता मंजूर नहीं
वहीं इस मामले में जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि बाबरी मस्जिद के मसले पर दोनों पक्षों को बैठकर हल निकालना चाहिए। वहीं जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें कोर्ट के बाहर किसी तरह का समझौता करने को राजी नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट कोई मध्यस्थता कर इसका कोई हल निकलता है, तो हम इसके लिए तैयार है ।
स्वामी की याचिका पर थी सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई मंगलवार को थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह अपनी रजामंदी का मामला है। इसे कोर्ट के बाहर दोनों पक्ष आपस में मिलकर सुलझा लें तो बेहतर रहेगा। यह धर्म व आस्था से जुड़ा हुआ पेचीदा मामला है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर आपसी रजामंदी से फैसला नहीं हो सका, तो फिर कोर्ट है।
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मध्यस्थता की भी पहल
जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्था के पहलू को भी ध्यान रखा है। कोर्ट ने कहा है कि अगर इस मामले से जुड़े पक्ष अदालत के बाहर किसी ऐसे हल पर नहीं पहुंचते हैं, जिस पर सबकी रजामंदी हो, तो मामले में मध्यस्थता की जा सकती है। इसमें अगर जरूरत होगी तो किसी न्यायाधीश को भी दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की जिम्मेदारी अदालत द्वारा दी जा सकती है।
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अगली सुनवाई 31 मार्च को
कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई 31 मार्च को करने का आदेश दिया है। स्वामी ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से प्रार्थना की थी कि राम मंदिर एक सेंसेटिव मामला है और इसकी सुनवाई जल्द से जल्द की जाए। इसी याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी देते हुए आपसी सुलह की बात कही है।
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जटिल है कोर्ट के बाहर सुलह होना
राम मंदिर मामला काफी पेचीदा है। इसमें दो पक्ष नहीं हैं, बल्कि दोनों तरफ से कई पक्ष हैं। ऐसे में सबको किसी एक सर्वमान्य हल पर राजी कर पाना आसान नहीं होगा। पहले भी आपसी बातचीत के प्रयास हो चुके हैं, लेकिन कोई बात नहीं बन सकी। बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वस्त कर दिया गया था। हिंदू पक्ष का कहना है कि यह भगवान राम की जन्मभूमि है जबकि मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताते हैं।