नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में प्रतिदिन के आधार पर हो रही अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई बुधवार को भी शुरू हो गई है । चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की पीठ इस मामले को सुन रही है । जहां मंगलवार को निर्मोही अखाड़े की तरफ से दलीलें रखी गईं और जमीन पर मालिकाना हक मांगा था, वहीं आज दूसरे पक्षों की ओर से दलीलें रखना बाकी है । इस सब के बीच सुनवाई के दूसरे दिन निर्मोही अखाड़ा ने अपनी दलीलें कोर्ट में रखने के साथ ही कोर्ट को इस मामले का इतिहास समझाया ।हालांकि जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि क्या आपके पास इस बात को कोई सबूत हैं , जिससे आप साबित कर सके कि रामजन्मभूमि की जमीन पर आपका कब्जा है। इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें उनके कागजात खो गए। इसके बाद जजों ने निर्मोही अखाड़ा से अन्य सबूत पेश करने को कहा ।
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वहीं निर्मोही अखाड़ा की तरफ से कहा गया है कि सूट किसी भी आदेश के खिलाफ कभी भी दाखिल हो सकता है । इसमें सूट दाखिल करने के लिए टाइम लिमिटेशन की जरूरत नहीं है । अखाड़ा ने कहा कि वह विवादित भूमि पर ओनरशिप और कब्जे की मांग कर रहे हैं । इस दौरान अखाड़ा ने साफ किया कि उनकी ओनरशिप का मतलब मालिकाना हक न समझा जाए बल्कि उसे रामजन्मभूमि पर कब्जा दिया जाए ।
इससे पहले, मंगलवार को करीब साढे 4 घंटे निर्मोही अखाड़ा ने अपना पक्ष रखा था । सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अखाड़ा के वकील सुशील जैन ने दावा किया था कि अखाड़ा मंदिर के प्रबंधक की हैसियत से विवादित जमीन पर अपना दावा कर रहा है, जबकि बाकी हिंदू पक्षकार सिर्फ पूजा के अधिकार का हवाला देकर दावा कर रहे हैं। 1949 से वहां नमाज नहीं हुई, लिहाजा मुस्लिम पक्ष का कोई दावा नहीं बनता ।
वहीं शीर्ष अदालत ने अखाड़ा से सवाल किया था कि 1949 में सरकार ने जमीन पर कब्ज़ा किया, निर्मोही अखाड़े ने 1959 में कोर्ट का रुख किया, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने 1961 में मुकदमा दायर किया , क्या ये सिविल केस में दावे के लिए मुकदमा दायर करने की समयसीमा का उल्लंघन नहीं करता? निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने जवाब दिया था कि जमीन पर हमारा दावा पुराना है, ऐतिहासिक है और 1934 से हमारा कब्जा है । समयसीमा का यहां उनकी ओर से उल्लघंन नहीं हुआ है। उनकी ओर से कहा गया कि 1949 से उस विवादित स्थल पर नमाज नहीं पढ़ी गई थी, ऐसे में मुस्लिम पक्ष का हक जताना पूरी तरह गलत है ।
इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कई सवाल पूछे और मामले की बारीकी से जानकारी मांगी । उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि में एंट्री कहां से होती है, वहां पर सीता रसोई कहां पर है? इसके अलावा अन्य जजों ने भी निर्मोही अखाड़े को आदेश दिया था कि अपने तर्क रखने के दौरान वह मामले को विस्तार से समझाएं । आज निर्माही अखाड़ा ने सुनवाई के दूसरे दिन अपनी दलीलें कोर्ट में रखने के साथ ही कोर्ट को इस मामले का इतिहास समझाया ।
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विदित हो कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं ।
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