नई दिल्ली। अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति वाली रकम में बड़ी हेरा-फेरी का मामला सामने आया है। अधिवक्ता एमएल शर्मा की याचिका पर विचार करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की खंडपीठ ने इसे जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए अगले सप्ताह से सुनवाई शुरू करने की बात कही है।
गौरतलब है कि सरकार की ओर से देश भर के अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए करीब 18 हजार करोड़ रुपये की राशि दी गई थी लेकिन इसमें सरकारी अधिकारियों के द्वारा बड़ी हेरा-फेरी की खबरें सामने आई है। इसके बाद एम एल शर्मा नाम के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस पर सुनवाई की मांग की थी।
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यहां बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर ने याचिका पर उनकी दलील को सुनने के बाद उसे जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया है और उस पर अगले सप्ताह से सुनवाई शुरू करने की बात कही है। बता दें कि एमएल शर्मा ने कैग की उस रिपोर्ट का भी जिक्र किया था जिसमें सरकारी अधिकारियों के द्वारा पैसों की हेरा-फेरी की बात कही गई थी।