नई दिल्ली । नई दिल्ली । राज्यसभा में मंगलवार को मोदी सरकार का बहुप्रतिक्षित तीन तलाक बिल पास हो गया । सदन में इस बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े , जबकि इस बिल के विरोध में 84 वोट पड़े । इस दौरान विपक्ष पूरी तरह बिखर गया । सदन में इस बिल को लेकर TRS , AIDMK , PDP और JDU , BSP, PDP ने मतदान में हिस्सा नहीं लेते हुए वॉकआउट किया , जिससे सरकार की स्थिति पहले ही मजबूत हो गई थी । राज्यसभा में पर्चे के माध्यम से चुनाव हुआ । इससे पहले इस बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी 100-84 से गिर गया । इसके बाद इस बिल में कई बड़े संशोधन संबंधी प्रस्ताव भी सदन में हुई वोटिंग में खारिज हो गए । इसके साथ ही 30 जुलाई का दिन मुस्लिम महिलाओं के लिए एख ऐतिहासिक तारीख बन गई है ।
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आजाद अपनी पार्टी के अच्छे काम भूले
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने चर्चा में हिस्सा लेने वाले सभी सांसदों का आभार जताया । उन्होंने कहा कि पैगम्बर साहब ने हजारों साल पहले इसे गलत बता दिया था लेकिन हम इस पर 2019 में बहस कर रहे हैं । विपक्षी के लोग 'लेकिन' के साथ तीन तलाक को गलत बता रहे हैं क्योंकि ये लोग इसे चलने देना चाहते हैं । प्रसाद ने कहा कि गुलाब नबी जी अपनी पार्टी के अच्छे काम भी भूल गए। उन्होंने कहा कि दहेज कानून को गैर जमानती बनाया तब किसी के जेल जाने की चिंता क्यों नहीं हुई । आपकी ओर से प्रगतिशील कानून लाए गए उनका विरोध नहीं हुआ लेकिन शाहबानो के मामले में कांग्रेस के पैर क्यों हिलने लगते हैं, इसका जवाब आजाद साहब को देना चाहिए।
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कांग्रेस आज भी शाहबानों मॉडल पर क्यों चल रही
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हिम्मत दिखाने वाली कांग्रेस पार्टी 1986 में शाहबानो के लिए न्याय के दरवाजे क्यों बंद करती है। 1986 से लेकर 2019 तक कांग्रेस पार्टी वहीं खड़ी है । कांग्रेस पार्टी आज भी शाहबानो मॉडल पर क्यों चल रही है । सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के बाद जब मेरे पास फाइल आई तो प्रधानमंत्री ने तुरंत कहा कि तीन तलाक की पीड़ितों के साथ खड़े हो जाओ, हम कोर्ट के भीतर और बाहर इन बहनों के साथ खड़े रहे । संसद को कोई कानून पास करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है । इस मामलों के देखने के बाद कई पीड़ित महिलाओं के दर्द को मैंने देखा है।
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इस्लामी देशों में गर्दन काटने का भी कानून - आजाद
बता दें कि तीन तलाक बिल के लोकसभा से पास होने के बाद इस बिल को मंगलवार राज्यसभा में पेश किया गया । राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर तीखी बहस चली । इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। सदन में तीन तलाक बिल पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुस्लिम परिवारों को तोड़ना इस बिल का असल मकसद है । आजाद ने कहा कि कई इस्लामी देशों में तो गर्दन काटने का भी कानून है, आप वहां से वो कानून भी लेकर आएंगे क्या? उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क किसी मुस्लिम मुल्क का मोहताज नहीं है और न ही किसी मुस्लिम के कहने से चलता है । देश के मुस्लिमों को देश पर गौरव है और हजारों सालों के साथ मिलकर रहते हैं । न हम मुस्लिम देशों की नकल करते हैं और न उनकी सोच रखते हैं ।
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महिलाओं के नाम पर मुसलमानों पर निशाना
राज्यसभा में आजाद ने कहा कि यहां के मुसलमानों की तुलना किसी दूसरे मुल्क के मुसलमानों से नहीं करिए, क्योंकि उनमें जो खामियां हैं, वो हमारे देश के मुस्लिमों में नहीं आनी चाहिए । उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल लॉ के बारे में तो नहीं बोला था । सरकार ने क्या अब तक अल्पमत वाले फैसलों को लागू किया है । उन्होंने कहा कि सरकार मुस्लिम महिलाओं के नाम मुसलमानों को निशाना बना रही है । न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। अब इस बिल के जरिए सरकार घर से चिराग से ही घर में आग लगाना चाहती है। घर भी जल जाएगा और किसी को आपत्ति भी नहीं होगी । उन्होंने कहा कि दो समुदायों की लड़ाई में केस बनता है, लेकिन बिजली के शॉट सर्किट में किसी के जलने पर कोई केस नहीं बनता है ।