नई दिल्ली। सीबीआई अदालत द्वारा 2 जी घोटाला मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने का फैसला सुनाए जाने के बाद वीडियोकाॅन टेलिकाॅम ने सरकार से 10 हजार करोड़ रुपये का हर्जाना मांगने की तैयारी में जुट गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2012 में वीडियोकॉन सहित आठ अन्य कंपनियों का टू जी लाईसेंस कैंसिल किए जाने के बाद से इनको बहुत घाटा हुआ था।
बिना गलती के भी मिली सजा
गौरतलब है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के बंटवारे को लेकर तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री ए राजा के साथ कई कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। बीते दिनों सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था इसके बाद से कांग्रेस भाजपा पर पूरी तरह से हमलावर हो गई थी। बता दें कि साल 2015 में वीडियोकाॅन ने टीडीसैट में मामला दर्ज कराया गया था जिसमें कहा गया था कि 2 जी फैसला कंपनी के उस दावे को मजबूती प्रदान करता है कि कोई गलती नहीं होने के बाद भी हमें खमियाजा भुगतना पड़ा था।
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अन्य कंपनियां भी मांग सकती हैं सरकार से मुआवजा
कानून के जानकारों का कहना है कि वोडाफोन के साथ अन्य कंपनियां भी ऐसे दावे करने पर विचार कर रही हैं। वीडियोकॉन और अन्य कंपनियां 2जी फैसले के उस हिस्से पर जोर दे सकती हैं, जिसमें सरकार की पहले आओ, पहले पाओ की नीति में स्पष्टता के अभाव को लेकर आलोचना की गई है। हाईकोर्ट ने 2012 में दिए आदेश में साफ कहा है कि पहले आओ, पहले पाओ की नीति के तहत वीडियोकाॅन को न तो कोई लाभ हुआ और न ही वह लाइसेंस/स्पेक्ट्रम हासिल करने में किसी तरह की गड़बड़ी में लिप्त थी।
कोई आपराधिक सबूत नहीं मिले
सीबीआई ने 2011 में अदालत को बताया था कि वीडियोकॉन के खिलाफ गड़बड़ी करने, आपराधिक या किसी अन्य मामले का कोई साक्ष्य नहीं है। इसी कारण सर्वोच्च न्यायालय ने 2 फरवरी, 2012 के अपने आदेश में वीडियोकॉन पर कोई जुर्माना भी नहीं लगाया था। बता दें कि 2008 में पहली बार लाइसेंस प्राप्त करने वाली वीडियोकॉन ने नेटवर्क स्थापित करने पर 9,353 करोड़ रुपये खर्च किए थे लेकिन 2012 के आदेश के बाद उसे कारोबार बंद करना पड़ा और कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी। जब नवंबर 2012 में कंपनी स्पेक्ट्रम की नीलामी में शामिल हुई और कई सर्किलों के स्पेक्ट्रम जीतने के बाद साल 2016 में वीडियोकॉन अपने स्पेक्ट्रम भारती एयरटेल को 4,428 करोड़ रुपये में बेचकर दूरसंचार कारोबार से निकल गई।