टिहरी । उत्तराखंड में केंद्र सरकार की बहुचर्चित ऑल वेदर रोड परियोजना पर तेजी से काम जारी है। ऋषिकेश-गंगोत्री एनएच-94 पर ऑल वेदर रोड निर्माण के चलते सड़क चौड़ीकरण का काम अच्छी दिशा में आगे बढ़ रहा है , लेकिन इस दौरान निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार इस प्रोजेक्ट की आड़ में नियम और कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। असल में निर्माण कार्य के दौरान एकत्र हुए मलबे को ठेकेदार इलाके की नदी और नालियों में डंप कर रहे हैं, जो आने वाले समय में तबाही का रूप ले सकता है । मानसून आने से पहले नदी नालियों में डंप किए जा रहे इस मलबे के चलते चंबा से लेकर हेवल घाटी तक आफत आना तय है । यह हाल यहां का ही नहीं बल्कि अन्य जगहों का भी है, जहां निर्माण कार्य का मलबा ऐसी प्रशासनिक लापरवाही के चलते आने वाले समय में फिर कोई बड़ी आपदा खड़ी हो सकती है ।
औली में गुप्ता परिवार के शादी समारोह पर CM रावत बोले- विवाद बेवजह का , हम उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रहे
बता दें कि एनएच-94 पर ऑल वेदर रोड का कार्य जारी है, जहां ठेकेदार अपना काम करने के दौरान नियमों और कानून का पालन नहीं कर रहे हैं। काम करने वाले ठेकेदार के कर्मचारी मलबे को डंप करने के लिए जो दिशानिर्देश हैं उनका पालन न करते हुए नरेन्द्रनगर से लेकर चंबा तक नदियों और जंगलों में करीब एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर मलबा फेंक रहे हैं। जबकि मलबे को डंप करने के लिए नरेंनगर में थान और फकोट, टिहरी में मातली और लवाधार में ही यानि कुल 4 डंपिंग जोन स्वीकृत हैं । इसके अलावा किसी भी जगह पर मलबा डंप करना कानून अपराध है, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते यह काम बदस्तूर जारी है।
केदारनाथ आपदा का कारण बनी चोराबाड़ी ताल एक बार फिर लबालब , 6 सालों में फिर बदला ताल का स्वरूप
राज्य में मानसून आने वाले 15 दिनों के भीतर दस्तक देगा , इसके बाद जहां रोड निर्माण का कुछ काम प्रभावित होगा , वहीं यहां वहां नदी नालों और जंगलों में मलबे को डंप करने से इस बार स्थानीय लोगों को समस्या का सामना करना पड़ेगा । इस स्थिति पर राज्य के कई पर्यावरणविद् इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यह स्थिति खतरनाक साबित होगी । विषय विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के साथ ही जब नदियों नालों में पानी बढ़ेगा तो ये यहां वहां फेंका गया मलबा , पानी के साथ मिलकर लोगों के लिए खासी आफत पैदा करेगा ।