देहरादून । डोबरा चांठी पुल को लेकर एक बार फिर डोबरा चांठी पुल बनाओ संघर्ष समिति ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुल के चार सस्पेंडर टूटने और पुल का काम एक बार फिर अनिश्चित समय के लिया रुकने का आरोप राज्य सरकार मर मढ़ा। समिति के मुख्य संयोजक सीए राजेश्वर प्रसाद पैन्यूली ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि टिहरी बांध की झील पर बन रहे इस बहुप्रतीक्षित पुल को लेकर घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहां पहले मामला धन के दुरुपयोग का था, वहीं अब निर्माणाधीन पुल के सस्पेंसन टूटने से यह साफ हो गया है कि न तो सरकार को जनता के टैक्स के पैसो की हो रही बर्बादी की चिंता है और न ही स्थानीय लोगो की जान की । समिति ने सरकार के सामने मांग रखी कि साफ किया जाए आखिर इस पुल का निर्माण कब तक होगा। इतना ही नहीं बिना जांच के पुराने जंग खा चुके सामान को दोबारा इस्तेमाल करने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई होगी। समिति ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस पुल के निर्माण में हुई लापरवाही के दोषियो के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ ही उनकी मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती तो समिति द्वारा कोर्ट मे वाद भी दायर किया जा सकता है | इस दौरान समिति समित के संयोजक के साथ प्रकाश बिष्ट, डॉ रतूडी , नवनीत कुडियाल आदि भी मौजूद थे |
वर्ष 2006 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य
पैन्यूली ने बताया कि वर्ष 2006 में इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। उस समय के MOU के अनुसार पुल को 89 करोड रूपये की लागत से 2008 मे बनकर तैयार किया जाना था, लेकिन 12 साल बीतने के बाद भी स्थानीय जनता अभी तक इस पुल के इंतजार में है। दुखद बात ये है कि जनता का 250 करोड रुपये से ज्यादा की राशि इस पुल को बनाने में लगा दी गई है, लेकिन अभी भी अपने बजट का तीन गुना ज्यादा खर्च करने के बावजूद पुल बनने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
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पुल के डिजाइन में थी खामियां
समिति ने मुद्दा उठाया कि जब पुल के डिजाइन मे तकनीकी खामी का पता 2007 मे ही चल गया था , लेकिन ठेकेदार और भ्रष्ट अधिकारियो की साठगांठ के चलते किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आशकाओं- खतरों को नजरअंदाज करते हुए पुल के लिए करोडो रुपये का गैर जरुरी सामान खरीदा गया और गैर जिम्मेदारी के साथ सालो से खुले मे सडने के लिए छोड़ दिया गया।
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बिना लैब टेस्टिंग पुराने सामान का इस्तेमाल
पैन्यूली ने कहा कि हमारी संघर्ष समिति हमेशा से पुराने जंग खा रहे सामान की बिना किसी लैब टेस्टिंग के इस्तेमाल किए जाने को लेकर सवाल उठाती रही है। 0 सब जानते है की करोड़ों रुपयों का यह सामान सालों से खुले मे पड़ा है और जंग खा चुका है । संबंधित विभाग ने भी इस बात की तस्दीक कर दी है कि यहां रखे गए पुराने सामान को बिना लैब टेस्टिंग के दोबारा से इस्तेमाल में लाया जा रहा है। समिति शंका जाहिर कर चुकी है कि ठेकेदार से सांठ गांठ के कारण ही सामान की जांच नही करवाई जा रही है । इस निर्माण सामग्री की कीमत करोडो मे है | अगर यह सामान जांच के लिये भेजा जाता तो घोटाले का पर्दाफाश हो जाता ।
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प्रतापनगर की जनता है त्रस्त
उन्होंने कहा कि हम हमेशा से इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं, लेकिन लंबे समय से स्थानीय नेताओं और अधिकारियो की गलत बयानी, मिलीभगत और दबाब के चलते सरकारों द्वारा दोषी लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसका खामियाजा प्रतापनगर क्षेत्र की जनता सालो से भुगत रही है ।
समिति ने उठाई ये मांग
1- इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाई जानी चाहिए।
2- आखिर खराब हो चुके सामान के इस्तेमाल और लगातार धन के दुरूपयोग के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी।
3- पूर्व में हो चुके कमिश्नर जाँच के निर्णयों पर त्वरित कार्यवाही नहीं करने के कारणों की जांच की जाए।
4- जांच की जाए कि क्या उपयोग मे लाए जा रहे पुराने जंग लगे सामानों की तथा पुल की वर्तमान ढ़ांचागत स्थिति का प्रमाणिक तकनिकी परीक्षण किया गया है।
5- आखिर पुल के निर्माण की फाइनल अधिकारिक तिथि घोषित कब होगी।