नई दिल्ली । राजनीति में कब किसका समय बदल जाए , कोई नहीं जानता । इसकी बानगी इन दिनों देश के सियासी हालात में साफ नजर आती है । वर्ष 2010 में देश के गृहमंत्री पी चिदंबरम थे और उस समय उन्होंने तत्कालीन भाजपा नेता अमित शाह पर ऐसा शिकंजा कसा था कि वह देश की सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में थे । अब 9 साल के बाद हालात बिल्कुल समान हैं , बस सियासी मोहरे बदल गई हैं। अब गृहमंत्री अमित शाह हैं और INX Media घोटाले में पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम अंडरग्राउंड हो गए हैं। जांच एजेंसियों ने इस समय उनपर कानूनी शिकंजा कस दिया है । हाईकोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज किए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीमकोर्ट की शरण में जाना पड़ गया है , जहां पूरी कांग्रेस उनका कवच बनकर खड़ी नजर आ रही है ।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी समेत पूरी कांग्रेस इस समय मोदी सरकार पर सीबीआई का गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगा रही है , जबकि 2010 के दौरान भाजपा ने भी मनमोहन सरकार पर कुछ इसी तरह के आरोप लगाए थे ।
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असल में देश के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले के चलते अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी । उस दौरान देश के गृहमंत्री चिदंबरम थे । 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार भी किया था और जेल में डाल दिया था ।
असल में 25 जुलाई वर्ष 2010 को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया । अमित शाह करीब तीन महीने जेल में रहे। इतना ही नहीं उन्हें 2 साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया । इसके बाद 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात की हाईकोर्ट ने अमित शाह को बेल दी । अमित शाह की गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने यूपीए सरकार पर सीबीआई के गलत इस्तेमाल के आरोप लगाए थे ।
विदित हो कि चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे और उनकी कार्यकाल के दौरान ही अमित शाह पर यह कार्रवाई की गई थी । लेकिन अब समय ने करवट बदली है । इस समय अमित शाह देश के गृह मंत्री हैं और सीबीआई-ईडी पी. चिदंबरम को गिरफ्तार करने के लिए उन्हें खोज रहे हैं।
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2012 तक अमित शाह गुजरात के बाहर ही रहे, 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दे दी । हालांकि, सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को गुजरात से बाहर शिफ्ट कर दिया और मुंबई भेज दिया । बाद में इस मामले की सुनवाई मुंबई की अदालत में ही हुई. लंबी सुनवाई के बाद साल 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया ।