नई दिल्ली । देश में पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों को लेकर जहां केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष समेत देश की जनता के निशाने पर है, वहीं सरकार के मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार के बस में पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती करना नहीं है। एक लेख में अरुण जेटली ने लिखा है कि मौजूदा वैश्विक हालात में अगर हम पेट्रोल-डीजल के दाम कम करके लोगों को राहत पहुंचाने का फैसला लेंगे तो सरकार की आफत आ जाएगी। हमारे सामने पूर्व की मनमोहन सरकार जैसे हालात आ जाएंगे, जहां विकास कार्यों के लिए सरकार को विदेश से कर्ज लेना पड़ेगा। उन्होंने साफ किया कि पिछले कुछ समय में केंद्र सरकार के राजस्व और जीडीपी में सुधार हुआ है।
तेल की कमाई से देश को लाभ
तबीयत खराब होने के चलते फिलहाल अवकाश पर चल रहे वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने लेख के जरिए कहा कि हमारी सरकार में राजस्व और जीडीपी में जो वृद्धि हुई है, उसका श्रेय काफी हद तक पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से हुई कमाई के चलते भी है। जहां सरकार को तेल की कमाई से लाभ हुआ है वहीं मोदी सरकार के लिए गए फैसलों के चलते अब इनकम टैक्स और जीएसटी ने भी राजस्व को लाभ हुआ है।
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4 साल में राजस्व में 1.5 फीसदी का इजाफा
उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से लिए गए फैसलों का असर ये है कि पिछसे चार साल में राजस्व में 1.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि इस दौरान जेटली ने अभी पेट्रोल-डीजल से राजस्व बढ़ाने की बात मानी लेकिन आगे के लिए पेट्रोल-डीजल को पीछे छोड़ अन्य चीजों से राजस्व बढ़ाने की है।
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टैक्स देने में ईमानदारी दिखाने की जरूरत
जेटली ने लिखा कि मौजूदा दौर में अधिकांश सैलरी क्लास के लोग ही इनकम टैक्स अदा करने वालों में हैं, जबकि अन्य लोगों को भी इस मामले में ईमानदारी दिखाने की जरूरत है। उन्होंने अपनी बात में जोड़ा कि ये बात सही है कि भारत में लोग टैक्स अदा करने में ईमानदारी नहीं दिखाते। उन्होंने कहा कि देश को लोगों को देशभक्ति की भावना से अपना टैक्स अदा करना चाहिए।
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