नई दिल्ली । अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर मंगलवार को जारी सुनवाई के दौरान दूसरे पहर में रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि इतिहास में यह तथ्य मौजूद है कि कुछ बाहरी लोग भारत आए और उन्होंने यहां आकर मंदिरों को तोड़ा । कई रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि ब्रिटिश काल में हिंदुओं को बाहर रखने के लिए एक दीवार बनाई गई थी , लेकिन किसी भी रिपोर्ट में रामलला की जन्मभूमि पर नमाज पढ़ने का जिक्र नहीं है । अगर हिंदुओं ने पूजा स्थल बनाया और उसे तोड़ने का आदेश हुआ , तो हमें जानकारी नहीं है । इतिहास में मुसलमानों द्वारा वहां नमाज पढ़ने के तथ्य सन् 1528 से 1855 तक नहीं है । इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपका दुनिया देखने का नजरिया सिर्फ आपका है लेकिन आपका नजरिया सबका नहीं हो सकता । न ही यह एकमात्र नजरिया है । उन्होंने कहा कि एक नजरिया ये है कि स्थान खुद में ईश्वर है और दूसरा नजरिया ये है कि वहां पर हमें पूजा करने का हक मिलना चाहिए । हमें दोनों को देखना होगा।
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विदित हो कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की पीठ रोजाना सुनवाई कर रही है, जिसमें हफ्ते में पांच दिन ये केस सुना जा रहा है । इसी क्रम में एक बार फिर से अदालत ने रामलला के वकील से रामजन्मभूमि पर दावे के सबूत मांगे । सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान से जमीन पर कब्जे के सबूत पेश करने को कहा है । संविधान पीठ ने कहा कि आप सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को नकार रहे हैं, आप अपने दावे को कैसे साबित करेंगे ।
अपना पक्ष रखने के साथ ही रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि ये हमारा नजरिया है, अगर कोई दूसरा पक्ष उसपर दावा करता है तो हम डील कर लेंगे , लेकिन हमारा मानना है कि स्थान देवता है और देवता का दो पक्षों में सामूहिक कब्जा नहीं दिया जा सकता । उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों के फैसले में वैचारिक तालमेल नहीं हैं । रामलला विराजमान देवता हैं, दूसरी जगह वो कहते हैं कि संपत्ति के मालिक हैं । जब स्थान खुद में पूजनीय है और देवता है, तो ये नहीं कहा जा सकता है कि वहां भगवान रहते हैं। ऐसे में इस पर सामूहिक कब्जा नहीं हो सकता है ।
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इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि रामलला का जन्मस्थान कहां है? जिसपर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे वाले स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान माना है। वकील ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से विवादित स्थल पर उनका मालिकाना हक साबित नहीं किया गया था । हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू जब भी पूजा करने की खुली छूट मांगते हैं तो विवाद होना शुरू होता है।
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