Monday, April 29, 2024

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विवादित ढांचा मामला- आडवाणी- जोशी समेत 13 नेताओँ पर फिर चल सकता है आपराधिक साजिश का मुकदमा

अंग्वाल न्यूज डेस्क
विवादित ढांचा मामला- आडवाणी- जोशी समेत 13 नेताओँ पर फिर चल सकता है आपराधिक साजिश का मुकदमा

नई दिल्ली । विवादित ढांचे से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संकेत दिए कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 13 नेताओं के खिलाफ फिर से आपराधिक मामला चल सकता है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल में हो रही देरी पर कोर्ट ने चिंता जताते हुए इसके संकेत दिए हैं। बहरहाल कोर्ट इस मामले में 22 मार्च को फैसला सुना सकती है। इस मामले को लेकर कोर्ट ने साफ किया कि इससे जुड़े दोनों मामलों की सुनवाई संयुक्त रूप से एक ही कोर्ट में होनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि इस मामले के सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की पूरक चार्जशीट दाखिल करे। 

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क्यों न सुनवाई लखनऊ स्थानांतरित कर दी जाए

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्यों न रायबरेली में चल रहे विवादित ढांचे से संबधित दूसरे मामले की सुनवाई भी लखनऊ स्थानांतरित कर दी जाए। कोर्ट ने कहा कि जब इससे जुड़े एक मामले की सुनावाई जब पहले से एक कोर्ट में चल रही है तो क्यों ने दोनों मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट में हो।

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आडवाणी की ओर से हुआ विरोध

इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया। आडवाणी की ओर से कहा गया कि ऐसा हुआ तो एक बार फिर मामले से जुड़े 183 गवाहों को बुलाना पड़ेगा। यह एक काफी मुश्किल है। ऐसे में कोर्ट को साजिश से जुड़े मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए। हालांकि सीबीआई ने कहा कि वह इन दोनों मामले के एक साथ ट्रायल के लिए तैयार है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अंतिम सुनवाई 22 मार्च को करेगी। 

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आपराधिक साजिश हटाए जाने पर सुनवाई

बता दें कि विवादित ढांचे को लेकर लालकृष्ण आडवाणी समेत मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, समेत भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के कुछ नेताओं पर से इस मामले में आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटा लिए गए थे, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। 

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हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं, जिसमें जांच एजेंसी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि वर्ष 2010 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने इन नेताओं को आपराधिक षडयंत्र के आरोपों से मुक्त कर दिया था।

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