बीजिंग।
भारत और चीन के बीच डोकलाम सीमा को लेकर एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे तनाव के कारण दोनों देशो के बीच युद्ध हो सकता है। ऐसी स्थिति में दोनों देशों के राजनयिकों को आपस में बातचीत के रास्ते तलाशने होंगे और बातचीत के जरिए इस विवादित स्थिति को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। यह बातें चीन के एक विशेषज्ञ ने कहीं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों को ही स्थिति को सुलझाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
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चीन के चारहार इंस्टीट्यूट में शोधकर्ता और चाइना वेस्ट नॉर्मल यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर इंडियन स्टडीज के निदेशक लोंग शिंगचुन ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक लेख लिखा। इस लेख में उन्होंने कहा है कि दोनों देशों के बीच इससे पहले अनावश्यक युद्ध हो चुका है और फिर युद्ध जैसी परिस्थितियां दोनों देशों के लिए खतरनाक हो सकती हैं। अखबार में उन्होंने लिखा कि युद्ध की संभावना असंभव नहीं है। इससे पहले भी गलत समय और गलत जगह अनावश्यक युद्ध हो चुका है। इसलिए, दोनों पक्षों के राजनयिकों का यह सर्वोपरि लक्ष्य होना चाहिए कि युद्ध न हो। उन्होंने लिखा कि यह कहना गलत है कि चीन इस साल होने वाले चाइना नेशनल कांग्रेस को देखते हुए डोकलाम सीमा गतिरोध का इस्तेमाल कर रहा है।
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लोंग ने चीन में मौजूद भारतीय पत्रकारों और भारत के चीन विशेषज्ञों की भी तनाव के लिए चीन पर आरोप लगाने को गलत ठहराया। उन्होंने लिखा कि चीन युद्ध नहीं चाहता। भारत के कई मीडिया समूह और विशेषज्ञ मौजूदा तनाव के लिए चीन पर आरोप लगाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि चीन ने अपनी अंदरूनी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सीमा पर तनाव की स्थिति पैदा की है।
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बता दें कि भारत, भूटान और चीन की सीमा से लगे डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं महीने भर से अधिक समय से तनातनी की स्थिति में हैं। भारत मामले का समाधान कूटनीतिक स्तर पर चाहता है, लेकिन चीन ने बातचीत के लिए भारत पर सेना वापस बुलाने की शर्त रख दी है।