नई दिल्ली । पिछले दिनों खबरें थीं कि केंद्र सरकार के NPA के संकट से जूझ बैंकिंग सेक्टर को उभारने के लिए जो योजना बनाई है, उससे आपके बैंक अकाउंट में जमा रकम पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने लोगों को राहत देते हुए बैंकिंग सेक्टर को उबारने के लिए जिस FRDI बिल को पेश किया था, उसे वापस ले लिया है। असल में यह बिल सरकारी और निजी बैंकों को ऐसी शक्तियां देता जिसका सीधा असर सीधा करोड़ों बैंक खाताधारकों पर पड़ता।
बता दें कि केंद्र सरकार ने एनपीए की समस्या से जूध रहे बैंकिग सेक्टर को उबारने के लिए वर्ष 2017 में एफआरडीआई बिल पेश किया था। इस बिल की जरूरत भी वर्ष 2008 के दौरान देश के कई बड़े बैंकरप्सी मामलों को देखने के बाद महसूस हुई। सरकार इस बिल को कानून बनाकर बीमार पड़ी वित्तीय कंपनियों को संकट से उबारने की कोशिश कर रही थी। इस प्रस्तावित बिल के माध्यम से सरकार की मंशा सभी वित्तीय संस्थाओं और संगठनों (बैंक, इंश्योरेंस कंपनी) का इंसाल्वेंसी और बैंक करप्सी कोड के तहत उचित समाधान करना चाहती थी।
तकनीकी शिक्षा की डिग्री देने की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा पाकिस्तान- पुलिस महानिदेशक
यही कारण रहा कि सरकार ने जनधर योजना समेत नोटबंदी और डिजिटल इंडिया जैसे अभियान चलाकर लोगों को बैंकिग व्यवस्था के दायरे में रहने की रणनीति बनाई। इसके लिए जरूरी है कि बैंकिंग व्यवस्था में शामिल हो चुके लोगों को वित्तीय संस्था के डूबने की सूरत में उनके पैसे की सुरक्षा की गारंटी रहे। इस बिल में एक रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन बनाने की बात थी। इस कॉरपोरेशन को डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की जगह खड़ा किया जाता। यह रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन वित्तीय संस्थाओं के स्वास्थ्य की निगरानी करता और उनके डूबने की स्थिति में उसे बचाने का प्रयास करता।
दिल्ली के विधायकों की हो गई बल्ले-बल्ले, विधायक फंड 4 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ किया गया
हालांकि इस बिल का डर ये था कि इस बिल के जरिए रेजोल्यूशन को फेल होने वाली संस्था को उबारने के लिए कदम उठाने का भी अधिकार था। बेल आउट के जरिए सरकार जनता के पैसे को मंद पड़ी अर्थव्यवस्था में निवेश करती, ताकि उसे उबारा जा सके। इस सब के चलते ही लोगों को अपने बैंकों में जमा पैसे को लेकर चिंता सताने लगी थी। लोगों को डर था कि अगर उनका बैंक इन सब प्रावधानों के बावजूद विफल हो जाता है तो उन्हें अपनी कमाई से हाथ धोना पड़ेगा।
मरीना बीच पर ही होगा करुणानिधि का अंतिम संस्कार, चेन्नई की सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब
लोगों के डर का कारण ये भी था कि मौजूदा प्रावधानों के तहत अगर कोई बैंक डूब जाता है तो ग्राहकों की बैंक में जमा कुल रकम में से मात्र 1 लाख रुपये की ही गारंटी रहती है। बाकि रकम लौटाने के लिए बैंक भी बाध्य नहीं होता।
बहरहाल, अब सरकार ने इस बिल को ही वापस ले लिया है, जिसके चलते अब लोगों की जमापूंजी पर मंडरा रहा खतरा भी पूरी तरह दूर हो गया है।
एनआरसी के सवाल पर बोले पर राजनाथ सिंह, कहा-इस पर राजनीति करना देश के लिए खतरनाक