नई दिल्ली । संसद के पिछले कुछ सत्रों का अगर इतिहास उठा कर देखे तो अधिकांश सत्र हंगामे की भेट चढ़े हैं, जिनमें कई अहम काम नहीं हो पाए। इतना ही नहीं संसद के दोनों की सदनों में सांसद हंगामा करने के बाद सदन का वॉकआउट कर गए। इन सब बातों के बीच शनिवार को आप सांसद संजय सिंह ने सदन में एक बड़ा और अहम सवाल उठाया। उन्होंने कहा जैसे किसी कर्मचारी के ऑफिस न आने पर उसे निकाल दिया जाता है या उसका वेतन काट दिया जाता है, लेकिन संसद में मनमाना रवैया अपनाने वाले सांसदों के वेतन काटने का प्रस्ताव होना चाहिए। मैं इस बात का समर्थन करूंगा।
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असल में संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही विपक्षी दलों ने कई मुद्दों को लेकर संसद में काफी हंगामा किया है। इस सब के चलते कई अहम मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकी। इस सब के बीच आप पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शनिवार को कहा कि अमूमन देखने में आता है कि कई सांसद सदन में आते ही नहीं हैं। कई आते हैं तो अपना काम ठीक से करते नहीं है। न तो वो आने पर हस्ताक्षर करते हैं न जाने पर। जबकि एक कर्मचारी अपने ऑफिस 10 दिन तक नही जाता तो उसे नोटिस भेजा जाता है, 1 महीने तक नहीं जाता तो उसके निलंबन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उनके ऑफिस न आने पर उनका वेतन भी काटा जाता है। लेकिन संसद में सांसद आये न आए, हस्ताक्षर करें या न करें। उनके लिए कोई नियम कानून नहीं दिखता, मनचाहे ढंग से वे आते हैं चले जाते हैं। सदन में उनके वेतन काटे जाने की जो बात सदन में रखी गई है, मैं उसका समर्थन करता हूं।
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बता दें कि मानसून सत्र 18 जुलाई से लेकर 10 अगस्त तक चलेगा। पिछले कुछ समय में संसद में कामकाज को लेकर सवाल उठते रहे हैं। खासकर संसद में होने वाले हंगामे और बहिष्कार को लेकर खराब होने वाले समय को लेकर। क्या आपको मालूम है कि संसद में एक घंटे की कार्यवाही पर कितना खर्च होता है, अगर नहीं तो आपको बता दें कि 1.5 करोड़ रुपया यानि हर मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपया।
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जाने कितना खर्च होता है संसद के चलने पर
लोकसभा के पिछले शीतकालीन सत्र पर हुआ कुल खर्च - 144 करोड़ रुपए
प्रतिदिन कार्यवाही का समय - छह घंटे
शीतकालीन सत्र में संसद चली - 90 घंटे
प्रति घंटे का खर्च - 1.44 करोड़ रुपए
संसद को एक घंटे चलाने की लागत - 1.6 करोड़ रुपए
संसद के प्रति मिनट का खर्च -1.6 लाख रुपए
संसद के एक मिनट तक चलने की कुल लागत - 2.6 लाख रुपये.