लखनऊ । आगामी लोकसभा चुनावों के लिए यूपी में सपा-बसपा ने आपस में गठबंधन करके महागठबंधन की पेरोकार कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में अब तक खुद को गठबंधन का हिस्सा मान रही कांग्रेस ने अपने दम पर सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भरा है, लेकिन अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। चुनावों में अब कुछ ही महीने बचे हैं , लेकिन कांग्रेस के पास यूपी की लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार तक नजर नहीं आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई नेता खुद चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है, क्योंकि गठबंधन से बाहर होने के बाद और मौजूदा भाजपा सरकार को देखते हुए उन्हें अपनी हार नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस ने बुधवार से लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है।
राजबब्बर-आजाद लखनऊ में
बहरहाल, मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता राजबब्बर लखनऊ में अहम बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की यूपी में रैलियों और बैठकों का खाका खींचा जाएगा, वहीं कांग्रेस यूपी में अपने उम्मीदवारों को लेकर भी चर्चा करेगी। हालांकि कांग्रेस कुछ दलों के साथ गठबंधन पर भी नजर बनाए हुए हैं।
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रालोद पर है नजरें
सपा-बसपा के गठबंधन में मात्र 2 सीटें रालोद को दिए जाने से नाराज अजीत सिंह अपनी मांग पर अड़े हैं। इस सब के बीच आज बुधवार को रालोद और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की बैठक होगी, जिसमें सीटों को लेकर चर्चा होगी। रालोद अब 6 के बजाए 4 सीटों की मांग कर रही है, जबकि उन्हें गठबंधन में 2 सीटें ही दी जा रही हैं। अब खबरें हैं कि अखिलेश अपने कोटे की 1 सीट देने को भी राजी है, जिससे रालोद की सीटें 3 हो जाएंगी और सपा की 37 लेकिन अजित सिंह 4 सीटों पर अड़े हैं। अब कांग्रेस इनकी बैठक से निकलने वाले निर्णय पर नजर गढ़ाए हुए है। अगर रालोद की बात इस गठबंधन के साथ नहीं बनती तो कांग्रेस उन्हें अपने साथ लेकर चुनावी मैदान में उतर सकती है।
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कांग्रेस को थी गठबंधन की थी आस
पिछली बार यूपी विधानसभा चुनावों में सपा-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़े थे। दोनों दलों के युवा पार्टी अध्यक्षों का जादू तो उस दौरान नहीं चला था लेकिन इस सब के बावजूद कांग्रेस को आस थी कि आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर जिस तरह महागठबंधन की बात हो रही है, यूपी में सपा-बसपा के साथ उनकी पार्टी भी एक साथ खड़ी होकर भाजपा को चुनौती देगी, लेकिन दोनों दलों ने 80 सीटों में से 38-38 सीटें आपस में बांट ली हैं। 2 सीटें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए छोड़ी है। वहीं दो सीटे अन्य दलों के लिए छोड़ी हैं।
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कांग्रेस ने भरा दम-हमें कम न समझें
इस सब के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों दम भरा कि सपा-बसपा गठबंधन करने कांग्रेस को कम आंक रही है। कांग्रेस अपने दम पर अब 80 लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि कांग्रेस के लिए अब इन सीटों पर अपने दमदार उम्मीदवार उतारना एक चुनौती नजर आ रहा है। सीटों पर वजनदार उम्मीदवारों को उतारने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दमदार उम्मीदवारों की एक लिस्ट बनानी शुरू कर दी है।
कई बड़े नेता नहीं लड़ना चाहते चुनाव
पार्टी के कुछ नेताओं ने दबी जुबान में कहा कि इस सयम पार्टी का प्रदेश में अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। पार्टी के कुछ बड़े नेता सपा-बसपा के गठबंधन की सूरत में चुनावी समर में उतरने को तैयार नहीं है। चुनाव में ऐसे नेताओँ की खुद की अच्छी खासी रकम खर्च हो जाएगी, जबकि उन्हें अपनी लोकसभा सीट में कांग्रेस की लहर नजर नहीं आ रही है। ऐसे में कई दमदार नेता टिकट के लिए किसी तरह का कोई दबाव नहीं बना रहे हैं।