वाशिंगटन । अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने आखिरकार भारतीय आईटी प्रोफेशनल के लिए परेशानी खड़ी कर ही दी। ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि एच-1बी वीजा से जुड़ी धोखाधड़ी और इसके गलत इस्तेमाल से निपटने के लिए सरकार कदम उठाने जा रही है। ट्रंप सरकार ने 31 मार्च को जारी एक नोट में कहा कि कंप्यूटर प्रोग्रामर्स अब एच-1बी वीजा के लिए उपयुक्त पात्र नहीं होंगे। ट्रंप सरकार के इस फैसले से भारतीय आईटी प्रोफेशनल को काफी नुकसान होगा क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां अपने प्रोफेशनल को अमेरिका भेजने के लिए इसी वीजा का इस्तेमाल करते हैं।
ये भी पढ़ें -मोदी सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों को करेगी देश से बाहर, कार्रवाई की रणनीति बनाई
बता दें कि गत 31 मार्च को यूएससीआईएस ने रिसेशन ऑफ द दिसंबर 22, 2000, गाइडलाइन मेमो ऑन H-1B कम्प्यूटर रिलेटेड पोजिशन’ नाम से पॉलिसी मेमोरेंडम जारी किया। अब अमेरिका द्वारा वीजा दिए जाने की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही ट्रंप प्रशासन के इस मेमो ने भारतीय आईटी प्रोफेशनल को काफी झटका दिया है।
ये भी पढ़ें -आतंकी हाफिज सईद और लखवी के बीच हुआ झगड़ा, घाटी में स्थानीय संगठन बनाकर वारदातों की साजिश
खबरे हैं कि एच-1बी वीजा को लेकर सख्ती बरते जाने का ऐलान यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस ने किया। बता दें कि ट्रंप प्रशासन का यह पूरा फैसला उस दौरान आया है कि अमेरिकी सरकार वीजा देने के लिए आवेदन को स्वीकार कर रही है। इस पूरे मामले पर यूएससीआईएस का कहना है कि हम किसी भी प्रोफेशनल को यहां आने से रोकने के लिए एच-1बी वीजा को लेकर सख्ती की बात नहीं कर रहे हैं। असल में हमारा मकसद इस वीजा के हो रहे गलत इस्तेमाल को रोकना है। यह बात साफ है कि अमेरिका में उच्च स्तर के प्रोफेशनल की कमी है और हमारे इस रुख से अमेरिकी कंपनियों को कुछ उच्च स्तरीय विदेशी प्रोफेशनल को नौकरी देने का मौका मिलेगा।
ये भी पढ़ें -सोमालिया के समुद्री तट पर लुटेरों ने भारतीय जहाज हाईजैक, 11 क्रू मेंबर को बंधन बनाया