Wednesday, May 8, 2024

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रूहअफजा के लाल रंग पर चढ़ा सांप्रदायिकता का रंग, सोशल मीडिया में मुसलमान करार दिया

अंग्वाल न्यूज डेस्क
रूहअफजा के लाल रंग पर चढ़ा सांप्रदायिकता का रंग, सोशल मीडिया में मुसलमान करार दिया

नई दिल्ली । लंबे समय तक मेहमानवाजी के लिए इस्तेमाल में लाए जा रहे लाल रंग के रुह-अफजा को सोशल मीडिया पर सियासी रंग दिया गया है। हालांकि पिछले कुछ समय से रुह-अफजा को लेकर कई तरह की खबरें आती रहीं लेकिन अब सोशल मीडिया पर इसे सलमान कराते देते हुए इसके बहिष्कार की अपील की गई है। अमूमन अपने अनोखे मीठे स्वाद के लिए देश भर में चर्चित रुह-अफजा को लेकर कुछ लोगों ने कड़वा संदेश जारी किया । इसमें 5 जून को निर्जला एकादशी पर रुह-अफजा के बेतरतीब इस्तेमाल को रोकने के लिए कहा गया था। 

 

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असल में पूरी कहानीरुह-अफजा को बनाने वाली कंपनी को लेकर है। एससी गौतम नाम के एक व्यक्ति ने पिछले दिनों एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा गया कि फ्रैश-जूस ले लेना भइया, रुह-अफजा तो मुसलमान है। इसके बाद व्हाट्सएप पर एक मैसेज चला, जिसमें लिखा था, 5 जून 2017 दिन सोमवार को निर्जला एकादशी है। समस्य भारत में इस दिन मीठे जल की छबील लगेंगी। और हमदर्द कंपनी का मुसलमान मालिक बहुत खुश होगा। क्योंकि हमारे हिंदू भाई एक दिन में ही 60 करोड़ की रूहअफजा बड़े चाव से पी जाएंगे, ये जाने बिना के हमदर्द वही कंपनी है जो आज भी किसी गैर मुस्लिम को नौकरी नहीं देती है और हम ही उस कंपनी का रूह अफजा खरीद कर उनका पालन पोषण कर रहे हैं और ये ही लोग हमारी गाय माता का निर्दयता से कल्त कर लाल खून बहाते हैं। दूसरी तरह हमें लाल रंगा का मीठा शरबत पिलाकर मुनाफा भी हमसे ही कमाते हैं। अभी भी वक्त है हिन्दू भाइयों जागो और बदलो.....

 


 

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हालांकि सोशल मीडिया में इन पोस्टों को लेकर कुछ लोगों ने तंज भी कसा है। लोगों का कहना है कि रूहअफजा बाजार में 1906 से उपलब्ध है, लेकिन इसके मुसलमान होने का पता लगाने में लोगों ने 111 साल लगा दिए। 

हालांकि मीडिया में हमदर्द और रुहअफजा के बारे में इस तरह की खबरों के बीच कुछ लोगों ने जवाब दिया। लोगों ने लिखा है कि हमदर्द में सिर्फ मुसलमानों को ही नौकरी देने की बात झूठ है। इसके साथ ही कुछ नाम के साथ एक पोस्ट जारी की गई, जिसमें हमदर्द के कुछ आला अधिकारियों के नाम और उनकी पद लिखे हुए हैं। 

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