नई दिल्ली।
सिक्किम से सटी सीमा पर भारत और चीन के बीच इन दिनों तनाव अपने चरम पर है। इस बीच चीन ने अपनी चालबाजी दिखाते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में एक पनडुब्बी तैनत कर दी है। यह एक परंपरागत डीजल—बिजली से चलने वाली पनडुब्बी है। यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने इस क्षेत्र में पनडुब्बी तैनात की हो, इससे पहले भी 7 बार वह ऐसा कर चुका है। जो पनडुब्बी तैनात की गई है, वह चीनी नौसेना से समर्थित है।
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हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों को भारतीय नौसेना ने रेखांकित भी किया है। नौसेना ने चीन की इन गतिविधियों से साउथ ब्लॉक को अवगत करा दिया है। चीनी नौसेना की हिंद महासागर में बढ़ती हुई सक्रियता भारत के लिए चिंता का विषय है।
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बता दें कि चीनी मीडिया ने इस बात की संभावना जताई थी कि सीमा विवाद में चीन युद्ध तक जा सकता है। इससे पहले चीनी मीडिया ने यह भी कहा था कि भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखना चाहिए। चीन को जवाब देेते हुए भारत के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि 2017 का भारत 1962 का भारत नहीं है। जेटली के बयान पर चीन ने पलटवार करते हुए कहा था कि चीन भी 1962 वाला नहीं है।
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भारतीय नौसेना रखे है नजर
भारतीय नौसेना चीनी पोतों की हर हरकत पर नजर रखे हुए है। अमेरिका निर्मित P81 जैसे लंबी दूरी के सर्विलांस प्लेटफार्म्स और सैटेलाइट्स की मदद से भारतीय समुद्र में चीनी नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनकी रिकॉर्डिंग भी की जा रही है। सबसे पहले भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में दिसंबर 2013 में पहली चीनी परमाणु पनडुब्बी को देखा था। शांग क्लास- न्यूक्लियर प्रोपेल्ड पनडुब्बी भारत के आसपास करीब तीन महीने फरवरी 2014 तक तैनात रही थी। इसके बाद 2014 में ही अगस्त से दिसंबर के बीच और तीन महीने तक सोंग क्लास- डीजल इलेक्ट्रिक-पनडुब्बी क्षेत्र में रही। इसके बाद हान क्लास परमाणु पनडुब्बी को देखा गया। पिछले साल चीन ने हान क्लास परमाणु पनडुब्बी और एक पारंपरिक पनडुब्बी को भारत के आसपास के समुद्री क्षेत्र में तैनात किया। 2017 में चीन ने ये पहली पनडुब्बी इस क्षेत्र में भेजी।