नई दिल्ली । अब आर्मी के अफसर अपने सहायकों से घरेलू काम नहीं करा सकेंगे। राज्य सभा में इन सहायक पदों की आलोचना करते हुए इनकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए थे, जिसके जबाव में मोदी सरकार ने आर्मी में इन सहायक पदों की वकालत की है। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा है कि आर्मी के सहायक, अफसरों को जंग और शांति के दौरान पूरी मदद देते हैं। वे लड़ने वाले जवान होते हैं। उनसे नौकरों की तरह काम न लिया जाए। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कहा है कि सभी आर्मी यूनिट्स को एक बार फिर से निर्देश दिए जाते हैं कि वह सहायकों से ऐसा कोई भी काम न करवाएं जो उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाता है।
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अफसर-जवानों को पहुंचाते हैं काफी मदद
बता दें कि राज्यभा में पिछले दिनों आर्मी में सहायक पद की आलोचना करते हुए उनके काम को लेकर सवाल उठाए थे। पूर्व में आरोप लगते रहे हैं कि आर्मी के अफसर इन सहायकों से अपने घर के काम करवाते हैं और इन सहायकों से घर के नौकर की तरह काम करवाया जाता है। इस पर रक्षा राज्य मंत्री ने सहायक पद की वकालत करते हुए कहा- सहायक जवानों को बड़े पैमाने पर जरूरी मदद पहुंचाने का काम करते हैं। जंग के दौरान और शांतिकाल के दौरान भी ये सहायक जवानों और अफसरों को काफी मदद पहुंचाते हैं। ये सहायक सेना में एक अहम भूमिका निभाते हैं।
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अफसरों-जवानों के लिए निभाते हैं कई भूमिका
उन्होंने कहा कि किसी मिशन के दौरान भी ये सहायक अफसर और जवानों के लिए एक बड़ी मदद पहुंचाने के काम में जुटते हैं। मसलन हथियारों को संभालने के अलावा जवानों को कवर करने का काम भी करते हैं। इतना ही नहीं अफसर-जवानों के हथियारों को सही तरीके से रखने के साथ रेडियो ऑपरेटर की भूमिका भी ये ही सहायक निभाते हैं। इतना ही नहीं जंग के दौरान भी कई बार इन सहायकों ने अपनी अहम भूमिका को साबित किया है।
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क्यों उठा विवाद
बता दें कि पिछले कुछ समय के दौरान आर्मी के कुछ सहायकों ने अपने अफसरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनसे नौकरों की तरह काम करवाने की बात कही थी। बता दें कि सिर्फ आर्मी में ही सहायक पद होता है, अन्य नौसेना और वायुसेना में इस तरह के सहायकों का कोई पद नहीं होता। सहायकों के शोषण संबंधी सवाल पर रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा ने कहा कि कई बार आर्मी यूनिट्स को यह निर्देश दिए जाते हैं कि सहायक भी एक लड़ने वाले जवाने की तरह है उससे अफसर और अन्य किसी प्रकार का ऐसा काम न करवाएं जो उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाता हो। इन सहायकों से नौकरों की तरह व्यवहार न किया जाए ताकि उनका आत्मसम्मान बना रहे।
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