दिल्ली / देहरादून । दिल्ली से उत्तराखंड स्थित फूलों की घाटी घूमने के लिए निकले एक दंपत्ति पिछले दिनों संकट में आ गए। फूलों की घाटी घूमने के दौरान यह दंपत्ति प्रकृति का आनंद लेते हुए जंगल में भटक गए। इनकी जान उस समय सांसत में आ गई, जब इन्हें जंगल से निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझा और ये जंगल में चिल्लाने लगे। देवभूमि आए इस दंपत्ति की मानों सीधे देवों ने सुन ली हो और जंगलों में इनकी मदद की गुहार को जंगलों में घूम रहे एक युवक ने सुन लिया। इसके बाद उसने इसकी जानकारी स्थानीय लोगों समेत पुलिस को दी। बाद में पुलिस ने रेस्क्यू अभियान चलाकर इस दंपत्ति को सुरक्षित जंगल से बाहर निकाला।
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घटना पिछले मंगलवार रात की है। मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली के शालीमार बाग निवासी कमल कुमार अपनी पत्नी तरंग के साथ उत्तराखंड में फूलों की घाटी और हेमकुंड साबिह घूमने के लिए आए थे। फूलों की घाटी की यात्रा पर निकलने के दौरान दोनों जंगलों में भटक गए। इस बीच रात हो गई और इन्हें जंगल से बाहर निकलने का रास्ता नहीं सूझा। खुद को संकट में पाकर इन लोगों ने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। इन लोगों को आस थी कि इनकी आवाज सुनकर कोई इन तक पहुंच पाएगा। संयोग रहा कि इन लोगों की आवाज को दूर गांव के एक युवक ने सुन लिया जो जंगलों में आया था। मदद की आवाजें सुनने पर उसने तुरंत इस बात की सूचना थाना गोविंदघाट को दी।
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इसके बाद सक्रिय हुई पुलिस टीम और एसडीआरएफ ने रात में ही रेस्क्यू टीम बनाकर दंपति को खोजने का काम शुरू कर दिया। रास्ते में पुलना गांव से करीब डेढ़ किमी ऊपर आवाज लगाने और टार्च की रोशनी देने पर पहाड़ी से एक युवक की आवाज सुनाई दी। इस दौरान युवकों ने टीम की आवाज सुनी और मोबाइल की रोशनी दिखाकर टीम को अपने होने का अहसास करवाया। सुबह जाकर बचाव दल ने इन दोनों को सुरक्षित बचा लिया।
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हालांकि जंगलों में फिसल जाने के कारण महिला के पैर में चोट आ गई थी, जिसे बाद में स्ट्रेचर के सहारे नीचे लाया गया। बाद में दोनों को गोविंदघाट अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया गया, जिसके बाद दोनों बचाव दल का आभार जताने के बाद अपने घर के लिए निकल गए।
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