Monday, April 29, 2024

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राम जन्मभूमि विवाद से हटने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपये की डील - निर्मोही अखाड़ा प्रमुख

अंग्वाल न्यूज डेस्क
राम जन्मभूमि विवाद से हटने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपये की डील - निर्मोही अखाड़ा प्रमुख

लखनऊ/नई दिल्ली । अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रही कवायद के शुरुआती चरण में ही एक नया विवाद खड़ा हो गया है। बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद से जुड़े एक पक्षकार ने आरोप लगाया है कि विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपये की डील की जा रही है। इतना ही नहीं खुलासे में दावा किया गया है कि श्री श्री रविशंकर ही सुन्नी वक्फ बोर्ड से मध्यस्ता करेंगे। इन बातों का खुलासा करने वाले कोई और नहीं बल्कि निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख और कई दशकों पुराने इस विवाद के तीन में से एक महंत दिनेंद्र दास है।

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बता दें कि इन दिनों राम जन्मभूमि विवाद के साथ ही राममंदिर निर्माण को लेकर की जा रही कवायद में मध्यस्तता के लिए आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने यूपी में डेरा डाला हुआ है। गुरुवार को वह अयोध्या पहुंचे और वहां इस विवाद से जुड़े लोगों से मुलाकात की। इस सब के बीच निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख और इस विवाद के तीन पक्षकारों में से एक महंत दिनेंद्र दास ने विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपये की डील किए जाने का दावा किया है। हालांकि श्री श्री की मध्यस्तता के समर्थकों की संख्या विरोध करने वालों से कम है।

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हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य एजाज अरशद कासमी ने कहा कि गत 6 अक्टूबर को मैंने बेंगलुरू में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी। श्री श्री भी चाहते हैं कि मुस्लिम इस विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दें। हालांकि श्री श्री ने अभी तक समझौते का कोई मॉडल पेश नहीं किया है। मॉडल पेश होगा, तभी को बातचीत होगी। इतना ही नहीं कासमी ने कहा कि श्री श्री चाहते हैं कि मुस्लिम इस जमीन को तोहफे में दे दें और दूसरी जगह मस्जिद बना लें। 

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इस बीच बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी ने कहा कि अगर रविशंकर के पास मुसलमानों की विवादित स्थल से बेदखली के अलावा कोई और प्रस्ताव हो तो वह पेश करें। अगर ऐसा कुछ है तो हम कमेटी की बैठक बुलाएंगे। हालांकि इससे पहले विहिप ने पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के बाद राम जन्म भूमि को लेकर सुलह-समझौते की रट का अब कोई औचित्य नहीं है,न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष में है। फिर बातचीत कैसी और क्यों।

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