Wednesday, May 8, 2024

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राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को दिए निर्देश, कहा- चुनावों के मद्देनजर ग्राउंड जीरों पर रहें मुस्तैद, दिल्ली से बनाएं दूरी

अंग्वाल संवाददाता
राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को दिए निर्देश, कहा- चुनावों के मद्देनजर ग्राउंड जीरों पर रहें मुस्तैद, दिल्ली से बनाएं दूरी

नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल में पार्टी की कार्य समिति की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के नेताओं को भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं की तरह अपनी नीतियों के बारे में जनता के बीच चर्चा करने को कहा। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान राहुल गांधी ने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से कहा कि वे आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपने लिए ग्राउंड जीरो चुनें और वहां पार्टियों की नीतियों को लेकर जनता के बीच जाएं। आगामी लोकसभा चुनावों तक जनता के बीच जाएं और उन्हें भाजपा सरकार की नाकामी के बारे में बताएं। इसके साथ ही राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों में महागठबंधन को ध्यान में रखते हुए अपने नेताओं को भाजपा की ओर से आए बयानों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचने को कहा। 

भाजपा को अकेले चुनौती देना मुश्किल

असल में पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को इस बात का आभास हो गया है कि मौजूदा दौर में वह अकेले भाजपा को टक्कर नहीं दे सकती। इसलिए कांग्रेस ने महागठबंधन के नाम पर सत्ता में आने का रणनीति बनाई है। सूत्रों के अनुसार, टीम राहुल अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की एक टीम बनाने में जुट गई है। ये नेता आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपने क्षेत्र में जाकर पार्टी की नीतियों के बारे में जनता को बताएंगे। 

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महागठबंधन में राहुल के नेतृत्व पर भी सवाल


असल में महागठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा इसे लेकर भी इस समय सभी विपक्षी पार्टियों के बीच अभी तक कोई लाइन साफ नहीं हो पाई है। मायावती ने इस बीच साफ कर दिया है कि उन्हें अगर चुनावों में सम्मान जनक सीटें नहीं मिलीं तो वह महागठबंधन में शामिल नहीं होंगी। वहीं महागठबंधन में शामिल होने वाले नेता सत्ता में आने पर राहुल गांधी को पीएम पद का दावेदार मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने इस महागठबंधन के मद्देनजर कोई भी फैसला लेने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को दे दिया है।  

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कठिन होगा महागठबंधन का नेतृत्व करना

असल में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए इस महागठबंधन का नेतृत्व करना भी आसान नहीं होगा। बेहत कम सीटों वाली कांग्रेस के लिए ‘बहुरंगी पार्टियों’ के गठबंधन का नेतृत्व करना न सिर्फ टेढ़ी खीर होगी, बल्कि कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी के भविष्य की राजनीति के लिए बड़ी घातक भी। क्योंकि ऐसी किसी भी सरकार को देश के व्यापक हित के हिसाब से चलाना आसान नहीं होगा। इसके अलावा सरकार की विफलता का पूरा ठीकरा सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पर फूटेगा और उसमें भी सर्वाधिक जिम्मेदारी राहुल पर ही आएगी। 

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