Tuesday, April 30, 2024

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फारुख अब्दुल्ला का फिर विवादित बयान, बोले-कश्मीर के पत्थरबाज अपने राष्ट्र के लिए लड़ रहे हैं

अंग्वाल न्यूज डेस्क
फारुख अब्दुल्ला का फिर विवादित बयान, बोले-कश्मीर के पत्थरबाज अपने राष्ट्र के लिए लड़ रहे हैं

नई दिल्ली । कश्मीर के संगबाज यानी पत्थरबाजों के प्रति एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला का प्रेम जाग उठा है। उन्होंने फिर से एक विवादित बयान देते हुए बुधवार को कहा कि वो (पत्थरबाज) युवा पत्थर फेंक रहे हैं असल में वो लोग अपने राष्ट्र के लिए लड़ रहे हैं। इन लोगों का आतंक से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने अपनी बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जोड़ते हुए कहा कि मैं मोदी सरकार को बताना चाहता हूं कि इन पत्थरबाजों का कश्मीर के पर्यटन से कोई संबंध नहीं है। उनका यह बयान उस समय आया है जब श्रीनगर में लोकसभा उपचुनावों का प्रचार जोरों पर है। इस बीच सियासी समीकरणों को अपने पक्ष में करने के लिए उन्होंने घाटी के इन पत्थरबाजों के प्रति अपनी सहानुभूति जताई है। 

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पत्थरबाज नहीं कर रहे पर्यटन को खत्म

बता दें कि घाटी में शांति बहाली और वहां के युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार जितने प्रयास कर रही है, घाटी के कुछ अलगाववादी नेताओं के साथ फारुख अब्दुल्ला जैसे नेता अपने विवादित बयानों से इस प्रयास को गहरा धक्का लगा रहे हैं। फारुख अब्दुल्ला ने इस बीच पीएम को संबोधित करते हुए कहा, मैं प्रधानमंत्री मोदी साहब को बताना चाहता हूं कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पर्यटन हमारे लिए हमारी जिंदगी से कम नहीं है। मैं बता दूं कि पथराव करने वाले ये युवा कश्मीर में पर्यटन को खत्म करने का या उसे बिगाड़ने के लिए कोई भी उल्टा काम नहीं करते। ये लोग भले ही भूखे रहें लेकिन अपने देश के लिए पत्थरबाजी करते रहेंगे। हमें उनकी यही बात समझने की जरूरत है। 

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हमारी लड़ाई सांप्रदायिक ताकतों से

उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई उन लोगों के खिलाफ है जो घाटी के लोगों को धर्म-जाति के आधार पर बांटने की साजिश रच रहे हैं। यह लड़ाई कोई पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच की लड़ाई नहीं है। यह जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक ताकतों को हराने की लड़ाई है। इस दौरान अब्दुल्ला ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए अमेरिका को मध्यस्ता करने की जरूरत है। हालांकि भारत ऐसे क्यों कहता रहा है कि भारत को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।


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ओवैशी ने साधा निशाना

फारुख अब्दुल्ला के इस बयान को एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस समय क्योंकि श्रीनगर में उपचुनाव होने जा रहे हैं, इसलिए फारुख अब्दुल्ला के सुर बदल गए हैं। वह केवल अपना हित साधने के लिए इस समय इस तरह की बातें कर रहे हैं। ओवैशी ने कहा, जब उनका बेटा जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री था तो उस दौरान करीब 100 युवाओं की हत्या हुई थी उस दौरान तो अब्दुल्ला साहब का कोई बयान नहीं आया। अब क्यों इस तरह के बयान दे रहे हैं। 

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चुनावों के चलते परेशान हैं अब्दुल्ला

फारुख अब्दुल्ला के बयानों पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि चुनावों के नजदीक आते ही अब्दुल्ला परेशान हो जाते हैं। हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि चुनावों को करीब देखकर वह अलगाववादियों की भाषा बोलने लगते हैं। शायद वह भूल जाते हैं कि वह भी कई सालों तक वहां की सरकार की हिस्सा रहे हैं। वहीं शिवसेना ने कहा कि फारुख अब्दुल्ला इस तरह का बयान देने वाले कौन होते हैं। जम्मू कश्मीर में जो भी हो रहा है वह गांधी नेहरू परिवार के चलते हो रहा है।अगर फारुख अब्दुल्ला को कुछ समझ नहीं आता तो राजनीति छोड़ दे और जाकर विदेश में बस जाए।

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