गोरिल्ले पानी से इतना डरते हैं कि वे उसे पीते तक नहीं। उनकी पानी की सारी जरूरत फल और पौधे खाने से पूरी हो जाती है।
मगरमच्छ चाहे तो पानी में से सीधे ऊपर की ओर उछल कर उड़ती हुई चिड़िया को अपने मुंह में पकड़ सकता है।
हाथी पूरे जीवन भर बढ़ता ही रहता है। अक्सर हाथियों की टोली का सबसे भीमकाय सदस्य ही सबसे बूढ़ा होता है।
कुछ मछलियां अपने अंडे कई हफ्तों तक अपने मुंह में ही रखे रहती हैं। जब अंडों से बच्चे निकलने को तैयार हो जाते हैं तभी वे उन्हें अपने मुंह से बाहर निकालती हैं।
दरियाई घोड़े की चमड़ी से एक गुलाबी रंग का तरल पदार्थ रिसता है जिसके कारण तेज धूप में भी उसकी चमड़ी जलती नहीं। यह तरल पदार्थ अगर लोगों के शरीर पर लगाया जाए तो यह एक अच्छे सन-स्कीन लोशन में यानी धूप से सुरक्षा करने वाली क्रीम का काम कर सकता है।
''कसोवरी '' 5 फीट ऊंचा आस्ट्रेलियाई पक्षी है। उसके सिर पर हड्डियों से बनी एक सख्त टोपी और पैरों में नुकीले पंजे होते हैं। कसोवरी अपनी एक जोरदार दुलत्ती से किसी आदमी को मार भी सकती है।
हरा '' माम्बा '' एक बहुत ही विशैला अफ्रीकी सांप है। वह पेड़ों की टहनियों मे छिप जाता है और नीचे गुजर रहे प्राणियों पर गिर कर उन्हें शिकार बना लेता है।
जब कंगारू का बच्चा जन्म लेता है तो वह एक मधुमक्खी के बराबर होता है। कंगारू का बच्चा अपनी माँ की थैली में 33 हफ्तों तक रहता है जहाँ वह दूध पीकर बड़ा होता है।
सनडयू पौधा कीड़े खाता है। जो कीड़े पौधे पर बैठते हैं वे उसके चिपचिपे बालों पर चिपक जाते हैं। बाल कीड़े को पूरी तरह घेर लेते हैं। फिर पौधे में से एक तरल पदार्थ निकलता है जिससे कीड़ा हजम हो जाता है।
टुआटारा '' एक ऐसी छिपकली है जिसकी पूंछ झट से टूट जाती है। अगर कोई दुश्मन टुआटारा की पूंछ को पकड़ लेता है तो छिपकली झट से अपनी पूंछ छोड़ कर भाग जाती है। बाद में छिपकली की नई पूंछ उग आती है।
जब गैंडों को खाने के लिए पर्याप्त घास नहीं मिलती तब वे कभी-कभी अन्य जानवरों का गोबर खाते हैं। जानवरों के गोबर में -डो को आशिक रूप से पची हुई घास मिल जाती है।
बकरियों को भूख बहुत ज्यादा लगती है। भूखी बकरियाँ कभी-कभी पेड़ों पर चढ जाती हैं और उनका एक-एक पत्ता सफाचट्ट कर जाती हैं।