धर्मनगरी के नाम से प्रसिद्ध हरिद्वार जिला अपने आध्यातमिक महत्व के लिए जाना जाता है। हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में यह जिला भी शामिल है।
गोमुख से निकलने वाली गंगा हरिद्वार आकर ही मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करती है, इसलिए इस जगह को गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जब अमृत को घड़े में भर कर ले जाया जा रहा था। तब चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं। हरिद्वार में जिस जगह अमृत की बूंदें गिरी थीं उसे हर-की-पौडी कहा जाता है।
हर 12 साल के बाद हरिद्वार में ‘कुंभ मेला’ आयोजित किया जाता है। इस दौरान गंगा में डुबकी लगाने देश-विदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
कहते हैं कि यहां पंडितों के पास आपके परिवार का पीढ़ी-दर-पीढ़ी का लेखा-जोखा रहता है। यह लेखा-जोखा हजारों सालों से पंडितों के पूर्वजों के द्वारा संभालकर रखा गया है।
यहां हर रोज़ मां गंगा का त्यौहार होता है। सूर्योदय के स्नान से लेकर शाम की आरती तक हर एक क्षण एक त्यौहार है।