अमजद खान स्टेज के जरिए फिल्मों में आए थे। उन्होंने साल 1957 में आई फिल्म ''अब दिल्ली दूर नहीं'' से एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया था।
साल 1973 में उन्होंने फिल्म ''हिंदुस्तान की कसम'' से एक अभिनेता के तौर पर काम करना शुरू किया था।
अमजद खान को थियेटर में अभिनय करते देखकर लेखक सलीम खान ने अमजद खान से ''शोले'' में गब्बर सिंह के किरदार को निभाने की पेशकश की थी।
अमजद खान को साल 1975 में आई फिल्म ''शोले'' से लोकप्रियता मिली। इस फिल्म में उनके डायलॉग्स बहुत फेमस हुए थे।
फिल्म ''शोले'' की सफलता से अमजद खान के सिने करियर में जबरदस्त बदलाव आया और वह खलनायकी की दुनिया के बेताज बादशाह बन गए थे।
अमजद की फिल्म ''मुकद्दर का सिकंदर'' में उनकी एक्टिंग को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया था। शोले के बाद यह फिल्म उनकी दूसरी सबसे कामयाब फिल्म थी।
अमजद ने ''चोर-पुलिस'' और ''अमीर आदमी-गरीब आदमी'' जैसी फिल्मों को डायरेक्ट भी किया था, हालांकि डायरेक्शन में वो कुछ खास नहीं कर पाए।
अमजद खान की फिल्म ''रुदाली'' उनकी आखिरी फिल्म थी। यह फिल्म उनकी मौत के बाद रिलीज हुई थी।
अपने फिल्मी जीवन के आखिरी दौर में उन्होंने अपने दोस्त अमिताभ बच्चन को लेकर ''लंबाई चौड़ाई'' नाम से फिल्म बनाना चाहते थे, लेकिन उनका यह ख्वाब अधूरा ही रह गया।
तीन दशक तक अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में राज करने वाले अभिनेता 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे।