उत्तरायणी मेला मुख्य रूप से बागेश्वर और हल्द्वानी में लगते हैं। पहाड़ी गोल्ज्यू देवता और शिव आराधना मकर संक्रांति की संध्या पर कई स्थानों पर होती है।
भारत-नेपाल की साझी संस्कृति के प्रतीक पूर्णागिरि मेले का आयोजन टनकपुर के पास होता है। नवरात्रि के दिनों में यहां हजारों श्रद्धालु भारत-नेपाल से आते हैं।
मां नंदा-सुनंदा के पूजन के साथ मनाए जाने वाली नंदाष्टमी मेला नैनीताल, अल्मोड़ा, भवाली में लगता है।
देहरादून में गुरु रामराय धाम के वार्षिक उत्सव के रूप में हर साल झंडा मेला आयोजित होता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु दूर-दराज से यहां पहुंचते हैं।
हर बारह साल में पूर्ण कुंभ हर 6 साल में अर्ध कुंभ हरिद्वार में आयोजित होता है। कहते हैं कुंभ में देवलोक के देवता तीर्थ नगरी हरिद्वार में वास करते हैं। करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचकर गंगा स्नान करते हैं।
नेपाल सीमांत क्षेत्र जौल जीवी (अस्कोट) में कार्तिक मेला कार्तिक महीने में आयोजित होता है। आमतौर पर ये मेला दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों की मजबूती के लिए कई दशकों से आयोजित हो रहा है।
द्वाराहाट में वैशाखी के दिन बिखौती मेला लगता है। मां बिखौती के प्रति आस्था प्रकट करने आए श्रद्धालु यहां एक राक्षस रूपी पत्थर को लट्ठ से पीटते हैं।
दीपावली मेला नानकमत्ता में मनाया जाता है। यहां थारू, बुक्सा जाति के लोग गुरुनानक के प्रति आस्था प्रकट करने आते हैं।