पंजाब के अमृतसर में पैदा हुए दारा सिंह अपने समय के भारतीय रेस्लर्स में सबसे बढ़िया बॉडी वाले थे। उनकी लंबाई 6 फीट 2 इंच थी और चेस्ट 53 इंच की थी।
लंबी चौड़ी बॉडी होने की वजह से उन्होंने रेस्लिंग में हाथ आजमाए। उन्होंने मेलों और बाजारों में छोटी-छोटी फाइट्स से अपने रेस्लिंग करियर की शुरुआत की थी।
दारा सिंह ने कई पूर्वी देशों के दौरे किए थे। साल 1947 में तरलोक सिंह को हराकर वह मलेशिया के चैंपियन बन गए थे।
साल 1954 में 26 साल की उम्र में वह नेशनल रेस्लिंग चैंपियन बन गए थे। अपनी पहलवानी के लिए उन्हें देशभर से सम्मान मिला था।
1959 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान किंग कॉन्ग, जॉर्ज गॉर्डिंको और जॉन डिसिल्वा जैसे पुराने रेस्लर्स को हराकर वह चैंपियन बन गए थे।
दारा सिंह रेस्लिंग रिंग के अलावा बॉलीवुड में भी एक्टिंग करते थे। उन्होंने सिकंदर-ए-आजम, वतन से दूर, दादा, रुस्तम-ए-बगदाद, शेर दिल, राका, कल हो ना हो और जब वी मेट जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी के लिए जाना जाता है।
बड़े पर्दे और रेस्लिंग रिंग के अलावा एक मंच जिसने उन्हें घर-घर का फेवरेट बनाया वो था रामायण में हनुमान का किरदार। दारा सिंह के अलावा छोटे पर्दे का कोई हनुमान उतना फेमस नहीं हुआ।